Last Updated: Tuesday, January 22, 2013, 09:37

नई दिल्ली: लोगों से 16 दिसंबर को एक महिला के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना को व्यक्तिगत रूप से नहीं लेकर आम तौर पर महिला के साथ हुए अपराध के नजरिए से देखने की सलाह देते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर ने सोमवार को कहा कि प्रतिक्रिया `स्वाभाविक` है, लेकिन गुस्सा `सकारात्मक दिशा` में जाना चाहिए। घरेलू हिंसा पर यहां आयोजित एक सम्मेलन में मुख्य न्यायाधीश कबीर ने कहा कि उस दिन जो कुछ हुआ वह कुल मिला कर नया नहीं था। लेकिन यह लोगों के जेहन में घर कर गया। मगर मैं अभी भी यह चेताना चाहूंगा कि 16 दिसंबर को जो कुछ हुआ वह एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि महिला के साथ आम तौर पर होने वाला अपराध है।
उन्होंने कहा कि कुछ समूहों ने जो प्रदर्शन किया वह एक `प्रतिगामी कदम` था और वह उस घटना पर `स्वाभविक` प्रतिक्रिया थी।
उन्होंने खुलासा किया कि इस प्रदर्शन के दौरान इंडिया गेट पर पिटने वाले प्रदर्शनकारियों में उनका भतीजा भी शामिल था।
उन्होंने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म जैसे मुद्दों के निपटारा करने के लिए राजधानी में छह त्वरित अदालतों का गठन किया गया है। उन्होंने बताया, "मैंने पूरे देश को ऐसी अदालतों का गठन सुनिश्चित करने के लिए लिखा है।" उन्होंने कहा कि बिना संवेदनशीलता के जज होने का कोई मतलब नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 22, 2013, 09:37