Last Updated: Wednesday, May 1, 2013, 22:33

लेह/नई दिल्ली : चीनी सैनिकों ने दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है और आक्रामक रूख अख्तियार किए हुए है। इस सेक्टर में चीनी सैनिकों ने पांच टेंट लगाए हैं और उन्हें ट्रको के जरिए नियमित रूप से रसद भी मिल रही है। भारत भी चीनी सैनिकों के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाने के लिए मोर्चेबंदी की तैयारी में जुट गया है। सेना प्रमुख ने इस मामले में बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की है। सूत्रों ने बताया कि जिन विकल्पों पर विचार किया गया, उनमें से एक यह भी है कि भारतीय सीमा क्षेत्र में घुस आए चीनी सैनिकों की रसद की आपूर्ति लाइन काट दी जाए ।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सैनिक डीबीओ पर लगातार गश्त लगा रहे हैं जो भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर अंदर है। वे इस संबंध में रस्साकशी को समाप्त करने से इंकार कर रहे हैं जो पिछले तीन सप्ताह से जारी है। चासूल में मंगलवार को ब्रिगेडियर स्तर की बैठक विफल होने के बाद भारत ने इस क्षेत्र में मानव रहित वाहन (यूएवी) के जरिए निगरानी बढ़ा दिया है जबकि सैनिकों ने बताया है कि चीनी बलों को ट्रकों के जरिए रसद पहुंचाई जा रही है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 40 सैनिक इस क्षेत्र में पांच टेंटों में जमे हुए हैं। मंगलवार की बैठक के दौरान चीनी पक्ष ने कहा था कि डीबीओ उनके क्षेत्र में आता है और भारतीय पक्ष को इस क्षेत्र पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए। जिस स्थान पर टकराव की स्थिति बनी हुई है वहां दोनों देश एक-दूसरे से महज 90 मीटर की दूरी पर हैं। इस जगह पर चीनी शिविरों में करीब 30 सैनिक तैनात हैं। भारत को यदि ऐसा महसूस हुआ कि चीन इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है तो वह भी वहां अतिरिक्त सैनिक तैनात कर सकता है।
समझा जाता है कि कैबिनेट को दी गई जानकारी में थल सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि सुरक्षा बल कड़ी निगरानी रखे हुए हैं और यह सुनिश्चित करने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास ऐसी घटनाएं फिर से नहीं हों। ‘बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग’ के बाबत थलसेना सूत्रों ने बताया कि यह एक रस्मी कवायद थी और दोनों पक्षों के बीच हुई साढ़े तीन घंटों की बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 1, 2013, 22:33