Last Updated: Tuesday, August 20, 2013, 16:07
चेन्नई : भारत के मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें अपने विचार और आपत्तियां व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं और उच्चतम न्यायालय तथा देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय इन्हें ध्यान में रखा जाएगा।
यहां वैकल्पिक विवाद निपटारा केन्द्र का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा हालांकि न्यायाधीश जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य नहीं होते, लेकिन वकील और जज अंतत: जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। न्यायपालिका द्वारा महिलाओं, बच्चों और सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों और अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों को तरजीह देने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने देश के प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद इस संबंध में सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखा है।
यह मानते हुए कि वैकल्पिक विवाद निपटारा प्रणाली को लंबित मामलों को घटाने के तंत्र के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इससे वादियों को आपस में ही गलतफहमियां दूर करने का मौका मिलता है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 20, 2013, 16:07