Last Updated: Tuesday, August 20, 2013, 22:50
नई दिल्ली : आपराधिक मामले में अदालत से दोषसिद्ध सांसदों और विधायकों को अयोग्यता से बचाने के इरादे से सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है।
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने इस संबंध में मंत्रिमंडल के लिये एक नोट तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि अदालत द्वारा दोषसिद्ध सांसद या विधायक की अपील पर यदि ऊंची अदालत ने सजा पर रोक लगा दी है और उसकी अपील लंबित है तो ऐसी स्थिति में उसे अयोग्य घोषित नहीं किया जायेगा।
जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रस्तावित संशोधन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दोषसिद्ध सांसद या विधायक संसद या विधान सभा की कार्यवाही में हिस्सा लेता रहेगा लेकिन अदालत में लंबित अपील पर फैसला होने तक वह न तो किसी मतदान में हिस्सा ले सकेगा और न ही उसे कोई वेतन या भत्ता मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल के लिये तैयार इस नोट में कहा गया है कि प्रस्तावित संशोधन शीर्ष अदालत के निर्णय की तारीख अर्थात् 10 जुलाई, 2013 से प्रभावी होगा। कानून मंत्रालय का यह नोट मंत्रिमंडल की अगली बैठक में विचार के लिये पेश किया जा सकता है।
कैबिनेट नोट के अनुसार किसी फैसले, डिक्री या अदालत, न्यायाधिकरण या किसी अन्य प्राधिकरण के किसी आदेश से प्रभावित हुये बगैर ही जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के संशोधित प्रावधान हमेशा की तरह ही प्रभावी माने जायेंगे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 20, 2013, 22:50