ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की जरूरत : राष्ट्रपति

ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की जरूरत : राष्ट्रपति

ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की जरूरत : राष्ट्रपतिइंदौर : देश में उच्च शिक्षा क्षेत्र के मौजूदा भौतिक ढांचे को जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा के इस दौर के मुकाबले ‘अपर्याप्त’ करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि इस क्षेत्र की सुविधाओं को फैलाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक साधनों की मदद ली जानी चाहिए।

यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी आई) के पहले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, ‘तीखी प्रतिस्पर्धा की इस दुनिया में भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र का भौतिक ढांचा पर्याप्त नहीं है। इस ढांचे के विस्तार के लिए निजी और सरकारी क्षेत्र को एक साथ कदम उठाने होंगे।’ उन्होंने यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर सिमरोल में आयोजित समारोह में कहा कि कई बार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भौतिक विस्तार में मुश्किलें पेश आती हैं। ऐसे में इस मकसद को पूरा करने के लिए ई-कक्षाओं और सूचना प्रौद्योगिकी के दूसरे आधुनिक साधनों की सहायता ली जानी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग में जर्मनी के उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले का अनुपात 21 प्रतिशत है। अमेरिका में यह अनुपात 34 प्रतिशत है। भारत में यह अनुपात केवल सात प्रतिशत है। लिहाजा मुझे लगता है कि हमें देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाओं को काफी फैलाना होगा, क्योंकि ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था वक्त की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि देश में उच्च शिक्षा को आर्थिक तौर पर वहनीय बनाने के लिए छात्रवृत्तियों में इजाफे के साथ शिक्षा ऋण योजनाओं को बढ़ावा दिया गया है। लेकिन इस सिलसिले में अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, क्योंकि दुनिया बेहद प्रतिस्पर्धी है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, June 8, 2013, 17:36

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