'तीस्ता के खिलाफ जांच रोके गुजरात सरकार' - Zee News हिंदी

'तीस्ता के खिलाफ जांच रोके गुजरात सरकार'



नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पंदरवाड़ा में वर्ष 2002 के दंगा पीड़ितों के शवों को अवैध रूप से खोदकर निकालने के मामले में कथित भूमिका को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सितलवाड़ के खिलाफ आगे की जांच आज यह कहते हुए रोकने को कहा कि यह एक दुर्भावनापूर्ण तरीके से दायर मामला है। हालांकि गुजरात सरकार ने कहा कि मामले में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और इसमें अपराध बनता है।

 

वरिष्ठ अधिवक्ता रविशंकर प्रसाद ने न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ से कहा कि इसमें मामला बनता है। प्रसाद ने यह बात तब कही जब पीठ ने कहा कि आपने मामले में दायर प्राथमिकी जरूर पढ़ी होगी और प्राथमिकी ही अपने आप में मानवाधिकारों का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि जिस तरह से प्राथमिकी दर्ज की गई और प्राथमिकी में जो आरोप लगाये गए हैं उनसे हम पूरी तरह से असंतुष्ट हैं। प्राथमिकी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

 

पीठ सितलवाड की ओर से दायर एक याचिका की सुनवाई कर रही थी, जो उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय के गत वर्ष 27 मई के उस फैसले के खिलाफ दायर की थी, जिसमें अदालत ने सितलवाड के खिलाफ पानम नदी के किनारे स्थित कब्रिस्तान से शवों को खोदकर निकालने को लेकर राज्य के पंचमहाल जिले के एक पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

 

गुजरात सरकार ने कहा कि शुरूआत में इस मामले में तीस्ता आरोपी नहीं थीं लेकिन जांच के दौरान उनकी कथित भूमिका पाई गई और ऐसे कई स्वतंत्र प्रत्यक्षदर्शी हैं जिन्होंने उनके खिलाफ आरोप का समर्थन किया। अदालत ने मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई लेकिन साथ ही कहा कि यह दुर्भावना से दायर किया गया मामला है। पीठ ने कहा कि आज हम आपसे (सरकार से) कहते हैं कि इस मामले में आगे की जांच रोक दें। इस बिंदु पर, प्रसाद ने कहा कि मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और मामले की जांच तब शुरू हो चुकी थी जब वह (तीस्ता) आरोपी नहीं बनाई गई थीं। हालांकि पीठ ने कहा कि आज जो भी स्थिति है, बरकरार रहे और सुनवाई को 18 जुलाई तक टाल दिया। प्रसाद ने पीठ को यह भी बताया कि गुजरात उच्च न्यायालय में सितलवाड के खिलाफ मामले को रद्द करने का कोई आवेदन नहीं था।

 

पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि ये सितलवाड को परेशान करने के लिए बनाया गया मामला है और इस तरह के मामलों से गुजरात सरकार को कोई लाभ नहीं होने वाला है। इस मामले के अलावा, गुजरात सरकार ने सितलवाड के खिलाफ दंगे से जुड़े अन्य मामलों में आपराधिक प्रक्रिया शुरू की है। इसके पहले पीठ कह चुकी है कि इस मामले को आगे बढ़ाना गुजरात सरकार के लिए उचित नहीं है।

(एजेंसी)

First Published: Friday, April 13, 2012, 20:10

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