Last Updated: Saturday, October 20, 2012, 17:04
नई दिल्ली : किसान नेताओं ने नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे में संसद की स्थायी समिति की कई अहम सिफारिशों को शामिल नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि ऐसा नहीं करने से विधेयक का उद्देश्य ही हासिल नहीं हो पाएगा।
‘किसान संघर्ष समिति’ के नेता दुष्यंत नागर के नेतृत्व में किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से मुलाकात की और भूमि अधिग्रहण विधेयक के बारे में उन्हें ज्ञापन सौंपकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया । किसान नेताओं ने ‘भूमि अधिग्रहण पुनरुद्धार और पुनर्वास विधेयक 2011’ के मसौदे में संसद की स्थायी समिति की प्रमुख सिफारिशों को शामिल करने का अनुरोध किया और ज्ञापन सौंपकर उन्हें जरुरी सुझाव दिए।
नागर ने यहां एक बयान में कहा कि समिति की सिफारिशों के मुताबिक वर्ष 1894 के पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार यदि किसी भूखंड का अधिग्रहण किया गया लेकिन उसका भौतिक कब्जा नहीं लिया गया है तो अधिग्रहण रद्द कर दिया जाएगा और यदि नए सिरे से किसी अधिग्रहण की जरूरत पड़ती है तो उसे नए अधिग्रहण कानून के मुताबिक किया जाना चाहिए। नागर ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसे बदल दिया है और कहा है कि अधिग्रहण पुराने कानून के मुताबिक होगा लेकिन मुआवजा नये कानून के अनुसार दिया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि सरकार इस संबंध में मूल ‘जमीन अधिग्रहण पुनर्वास और पुनरुद्धार विधेयक 2011’ की सिफारिश को लागू करें जिसके तहत जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया है लेकिन भौतिक कब्जा नहीं हुआ है उसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। जमीन के मुआवजे पर किसानों ने सुझाव दिया कि गरीब किसानों को उचित न्यायसंगत व्यवहार के लिए पास के आवासीय सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुआवजे को जमीन मालिकों के घर पर दिया जाना चाहिए और उन्हें इसके लिए सरकारी अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़े इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए। मुआवजा एक तय समय सीमा के अंतर्गत दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा और दिल्ली में प्रचलित ‘जमीन बैंक’ जैसी संकल्पना पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। यह बेहद खतरनाक और किसान विरोधी है। यह अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। उल्लेखनीय है कि मंत्रियों के एक समूह ने कुछ दिन पहले ही परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के नए कानून के प्रस्तावों पर तीखे मतभेदों को पीछे छोड़ भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी थी। अब यह विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 20, 2012, 17:04