Last Updated: Thursday, August 8, 2013, 22:40
नई दिल्ली : संसद ने गुरुवार को नए कंपनी विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक में अनुपालन, पारदर्शिता को बढ़ाने, स्वनियमन को बढ़ावा देने और कारपोरेट समाजिक दायित्व को बाध्यकारी बनाए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा इसमें कर्मचारियों और छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा का भी प्रावधान है।
इस विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं, ताकि सत्यम जैसे घोटाले नहीं हों। 1.5 अरब डॉलर का सत्यम घोटाला 2009 में प्रकाश में आया था। देश के कारपोरेट इतिहास में यह सबसे बड़ा घोटाला था।
राज्यसभा में विधेयक गुरुवार को पारित हुआ, जबकि लोकसभा ने पिछले साल 18 दिसंबर को इसे पारित कर दिया था। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कंपनी मामलों का मंत्रालय एक अधिसूचना जारी करेगा, जिसके बाद यह कानून का दर्जा हासिल कर लेगा।
कानून बन जाने के बाद यह करीब छह दशक पुराने कंपनी अधिनियम 1956 की जगह ले लेगा। राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि यह विधेयक देश के कारपोरेट गवर्नेस को 21वीं सदी के कारोबारी माहौल के उपयुक्त बनाता है। पायलट ने कहा कि विधेयक विकासशील है और इसमें पारदर्शिता तथा अनुपालन बढ़ाने पर मुख्य जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अगले दो से तीन दशकों तक यह अर्थव्यवस्था को सकारात्मकता देगा। उन्होंने कहा कि इस पर सभी पक्षों की राय ली गई थी। पायलट ने कहा कि विधेयक में पारदर्शिता बढ़ाने, कम से कम नियम रखने, स्वयं रिपोर्टिग करने तथा जानकारी सार्वजनिक करने पर ध्यान दिया गया है। विधेयक लोकसभा में सर्वप्रथम अगस्त 2009 में पेश किया गया था। एक महीने बाद इसे वित्त पर स्थायी समिति के हवाले कर दिया गया था। इसे वापस लोकसभा में कंपनी विधेयक 2011 के रूप में लाया गया। लेकिन इसके बाद फिर से इसे स्थायी समिति के हवाले कर दिया गया। जून 2012 में स्थायी समिति द्वारा रिपोर्ट जमा कर दिए जाने के बाद इसे लोकसभा ने पारित कर दिया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा कि यह विधेयक कंपनी कानून के इतिहास में मील का एक पत्थर है। यह आने वाले समय में व्यावसायिक प्रशासन और प्रबंधन को पूरी तरह से बदल देगा। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि अब जबकि कानून तैयार है, इसके प्रावधानों के अनुपालन के व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 8, 2013, 18:44