Last Updated: Wednesday, November 21, 2012, 09:06

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन करने के दौरान वह लाभ के पद पर नहीं थे। उन्होंने कहा कि जिस वक्त उन्होंने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दिया उसी समय उनका सदन के नेता का पद समाप्त हो गया।
सर्वोच्च न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर के नेतृत्व वाली संविधान पीठ से कहा गया कि केवल सरकार का मंत्री ही लोकसभा में सदन का नेता हो सकता है। इस पीठ के अन्य न्यायाधीशों में न्यायाधीश पी. सतशिवम, न्यायाधीश एस.एस. निज्जर, न्यायाधीश जे. चेलामेश्वर और न्यायाधीश रंजन गोगोई शामिल हैं।
मुखर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पी.ए.संगमा की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह बात कही। संगमा ने मुखर्जी के राष्ट्रपति के रूप में चुनाव को चुनौती दी है। साल्वे ने पीठ से कहा कि सदन का नेता या तो प्रधानमंत्री हो सकता है अथवा प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त कैबिनेट मंत्री। जिस वक्त मुखर्जी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया उसी समय उनका नेता पद समाप्त हो गया। साल्वे ने इस आरोप को अनर्गल करार दिया कि मुखर्जी ने मंत्री पद से तो इस्तीफा दे दिया लेकिन वे नेता सदन बने रहे।
साल्वे ने कहा कि पीठ को संवैधानिक प्रावधानों के तहत मामले की सुनवाई करनी चाहिए जबकि संगमा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि पीठ को नागरिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत सुनवाई करनी चाहिए। जेठमलानी ने इससे पहले कहा कि मुखर्जी का नेता पद से इस्तीफे का पत्र पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया गया था न कि किसी संवैधानिक निकाय को। साल्वे अपनी दलील बुधवार को भी जारी रखेंगे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 21, 2012, 09:06