Last Updated: Wednesday, February 1, 2012, 16:15
नई दिल्ली : दो भारतीय बच्चों को उनके माता-पिता से अलग रखने के मामले में नार्वे को कड़ा संदेश देते हुए पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने बुधवार को नार्वे के पर्यावरण मंत्री एरिक सोल्हीम से कहा कि बच्चों को उनके माता-पिता से अलग नहीं रखा जाना चाहिए और यह देश की जनता के लिहाज से भावनात्मक मुद्दा है।
सूत्रों ने कहा कि सोल्हीम ने जब बुधवार को नटराजन से उनके कार्यालय में मुलाकात की तो भारतीय मंत्री ने बहुत गंभीरता से मामले को उठाया। सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने नटराजन को इस मुद्दे को उठाने की जिम्मेदारी सौंपी और उन्होंने नार्वे के मंत्री से कहा कि बच्चों को उनके माता-पिता की देखरेख में बड़ा होना चाहिए और उन्हें समान संस्कृति एवं भाषाई वातावरण में बढ़ने देना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक दोनों मंत्रियों के बीच मुलाकात सौहाद्र्रपूर्ण रही। सोल्हीम ने अपनी ओर से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर भारत के हालात के बारे में जानकारी है और बच्चों को अलग करने वाली नार्वे की संस्था स्वायत्त है। उन्होंने नटराजन को आश्वासन दिया कि वहां अधिकारियों को उनके विचारों से अवगत करा दिया जाएगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि बच्चे अपने घर वापस आएंगे। ‘भावनात्मक विलगाव’ के आधार पर नार्वे की बाल कल्याण सेवा ने जिन दो भारतीय बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया है उसके चाचा आज नॉर्वे के लिए रवाना होंगे। वहां वह उन बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी हासिल करने के लिए मंशा पत्र पेश करेंगे।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 1, 2012, 21:45