फूड सिक्‍योरिटी बिल के जरिये गरीबों की थाली छीन रही सरकार: नरेंद्र मोदी

फूड सिक्‍योरिटी बिल के जरिये गरीबों की थाली छीन रही सरकार: नरेंद्र मोदी

फूड सिक्‍योरिटी बिल के जरिये गरीबों की थाली छीन रही सरकार: नरेंद्र मोदीज़ी मीडिया ब्‍यूरो/बिमल कुमार

नई दिल्‍ली : फूड सिक्‍योरिटी बिल को लेकर बीजेपी नेता और गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार पर जमकर हमला बोला है। मोदी ने मंगलवार को कहा कि सरकार खाद्य सुरक्षा बिल के जरिये गरीबों की थाली छीनना चाहती है। उन्‍होंने इस मसले पर दुखी होकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है।

मोदी ने कहा कि इस बिल से देश की आम जनता को कोई फायदा नहीं पहुंचेगा बल्कि गरीबों की थाली का भोजन छीन जाएगा। मीडिया से बातचीत में मोदी ने कहा कि यदि यह बिल लागू होता है तो गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों को 10 किलो कम अनाज मिलेगा। ऐसे में उन्हें महंगी दुकानों से अनाज खरीदने को विवश होना पड़ेगा। इन हालातों में गरीब परिवार का सालाना बजट बिगड़ जाएगा। मोदी ने यह भी कहा कि उन्होंने इस बिल की खामियों के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र के जरिये बताया था लेकिन अब प्रतीत होता है कि सरकार का रवैया ही लचर है। मोदी ने फिर कहा कि खाद्य सुरक्षा बिल पर केंद्र सरकार को सभी राज्य के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाना चाहिए क्योंकि इस बिल के मुताबिक गरीबों में अनाज बांटने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। साथ ही, उन्होंने कहा कि पीएम इस बात को सुनिश्चित करें कि गरीबों के लिए राज्यों में अनाज कहां से आएगा और उसके लिए पैसे कौन देगा।

गौर हो कि नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर यह कहते हुए खाद्य सुरक्षा कानून पर मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने का प्रस्ताव दिया। यह एक ऐसा मुद्दा है कि जिससे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों का वास्ता है।
मोदी ने पत्र में आरोप लगाया कि गरीब परिवारों को अध्यादेश के जरिये ‘खाद्य आरक्षित’ बना दिया गया है जो ‘खाद्य सुरक्षा के मूल उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता।’ उन्होंने सात अगस्त की तिथि वाले पत्र में आरोप लगाया है कि अध्यादेश के तहत अव्यवहार्य वैधानिक जिम्मेदारियां केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई हैं और लाभार्थियों की संख्या पात्रता के मानदंड और व्यक्तिगत अधिकार तय किए बिना तय कर दी गई है। विभिन्न राज्यों के बीच व्यापक क्षेत्रीय असमानताएं हो सकती हैं।

मोदी के अनुसार संसद की स्थायी समिति ने जनवरी 2013 में सिफारिश की थी कि सरकार को राज्य सरकार से सलाह मशविरा करके पात्रता मानदंड तय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यादेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों का हक 35 किलोग्राम प्रति परिवार से घटाकर औसत पांच व्यक्ति के परिवार को 25 किलोग्राम करने का प्रस्ताव है। यह खाद्य सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य नहीं हो सकता जो उन लोगों का हक घटाता है जिनकी पहचान गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले के रूप में हुई है।

जिक्र योग्‍य है कि पहले बीपीएल परिवारों को 35 किलो अनाज मिलता था। मगर इस बिल के अनुसार 5 लोगों के परिवार को मासिक तौर पर सिर्फ 25 किलो अनाज मिल सकेगा।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पोषण संस्थान की सिफारिशों के अनुसार एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 2500 कैलोरी की जररत होती है लेकिन आपकी योजना प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन 165 ग्राम देने का प्रस्ताव है जो कि केवल 350 कैलोरी ही प्रदान करेगा जो कि उसकी दैनिक कैलोरी जररतों का मात्र 20 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजना योजना के तहत भी विद्यालय जाने वाले बच्चे एक समय भोजन के तहत 150 ग्राम अनाज और 30 ग्राम दाल प्राप्त करने के हकदार हैं। उन्होंने दावा किया, इसके विपरीत एक वयस्क खाद्य असुरक्षित व्यक्ति को प्रतिदिन दो बार के भोजन के लिए 165 ग्राम देने का प्रस्ताव है। इससे कैलोरी की जररत भी पूरी नहीं होगी पोषण सुरक्षा की तो बात ही छोड़ दीजिये जो कि खाद्य सुरक्षा विधेयक का मुख्य उद्देश्य है।

First Published: Tuesday, August 13, 2013, 22:21

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