Last Updated: Friday, October 12, 2012, 19:11
नई दिल्ली : हरियाणा सहित देश के विभिन्न स्थानों पर बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि इस तरह के घृणित अपराधों में लिप्त अभियुक्तों को बेतुके आधार पर छोड़ा नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 11 वर्षीय बच्ची से बलात्कार के बाद उसकी हत्या करने वाले युवक को बरी करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय भी रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिक चिंता बलात्कार के मामलों में वृद्धि और दुनिया में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराध को लेकर है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। कोर्ट ने कहा, ‘हालांकि कानून में इस तरह के अपराधियों के प्रति कठोर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है लेकिन अंतत: कोर्ट को ही यह निर्णय करना है कि ऐसी घटना हुई है या नहीं।’
न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर हाईकोर्ट का निर्णय रद्द करते हुए बलात्कारी हत्यारे मुनीष को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इस मामले में सत्र अदालत ने 15 फरवरी, 2003 को मुनीष को 5 मार्च 2002 को 11 वर्षीय लड़की से बलात्कार के बाद उसकी हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई थी लेकिन हाईकोर्ट ने 16 अक्तूबर, 2003 को उसे बरी कर दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह के मामलों में साक्ष्यों की विवेचना करते समय अदालतों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए और अभियुक्त को कमजोर आधार पर नहीं छोड़ना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 12, 2012, 19:11