Last Updated: Wednesday, April 24, 2013, 22:25

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि पश्चिम के प्रभावशाली देशों के दबाव में स्विटजरलैंड सहित कालेधन की पनाहगाह समझे वाले देशों के बैंक अपने खाताधारियों की जानकारी देना शुरू कर रहे हैं और भारत को इस बात का लाभ उठा कर भारतीयों के गोपनीय खातों का पता लगाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कालेधन पर सरकार की ओर से श्वेत पत्र लाए जाने के बाद ऐसे खातों का पता लगाने और कर चोरी के धन की उगाही करने संबंधी आगे की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अमेरिका का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ शक्तिशाली पश्चिमी देशों की ओर से बैंकिंग के गोपनीयता कानूनों को बदलने का जबर्दस्त दबाव बनाया जा रहा है जिससे काला धन के पनाहगाह माने जाने वाले स्विट्ज़रलैंड और ऐसे अन्य देशों के बैंक भारी संकट का सामना करने की स्थिति में आ गए हैं।
अपने ब्लाग में भाजपा नेता ने कहा कि अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी के भारी दबाव के चलते स्विटजरलैंड का सबसे बड़ा बैंक यूबीएस अपने 4000 से अधिक अमेरिकी ग्राहकों के नाम बताने पर राज़ी हुआ। वहां के कुछ अन्य बैंक भी कर चोरी वाले ऐसे खातों की जानकारी देने को बाध्य हुए हैं।
सरकार से उन्होंने कहा कि कालेधन के खिलाफ छेड़ी गई इस वैश्विक जंग से भारत को काफी लाभ हो सकता है। यह उम्मीद ही की जा सकती है कि भारत इस घटनाक्रम का पूरा फायदा उठाएगा। आडवाणी ने कहा कि भाजपा को इस बात का खेद है कि श्वेत पत्र पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं की गई। खास कर, पिछले नौ वषरे से भारतीय राजनीति और शासन का भ्रष्टाचार और कालेधन के कारण सत्यानाश होता जा रहा है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 24, 2013, 22:25