‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’

‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’


नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘भारतीय भाषाओं को नदियां और हिंदी को महानदी ’ बताते हुए आज कहा कि अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र शक्तिशाली और प्रगतिशील बना रहे, तो हमें केन्द्र सरकार के कामकाज में राजभाषा हिन्दी और राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का सम्मान करना होगा।

हिंदी दिवस के अवसर पर यहां विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में आज का दिन गौरव का है, क्योंकि हमारे संविधान में हिंदी को 1949 में आज ही कि दिन भारत की राजभाषा के रूप में पहचान मिली थी।

भारत में अनेक भाषाएं बोले जाने का जि़क्र करते हुए मुखर्जी ने कहा, विविधता के बीच एकता ही हमारे देश की विशेषता है और हिंदी देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर का कहना था- ‘ भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’।

हिंदी के उपयोग को बढ़ाने के लिए सरकार की कई योजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से हिंदी का प्रचलन बढ़ रहा है। हमारा संकल्प है कि हिंदी के साथ-साथ सभी प्रांतीय भाषाएं विकसित हों।

राष्ट्रपति ने हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने की वकालत करते हुए उम्मीद जताई कि बाईस से चौबीस सितंबर के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में होने जा रहे नौंवे विश्व हिंदी सम्मेलन से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने में सहायता मिलेगी। इस अवसर पर हिंदी के प्रसार में योगदान के लिए देश भर के लगभग 50 सरकारी विभागों को पुरस्कृत किया गया। (एजेंसी)

First Published: Friday, September 14, 2012, 14:40

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