Last Updated: Monday, August 5, 2013, 09:25
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: आज (सोमवार) से शुरू हो रहे मानसून सत्र में खाद्य सुरक्षा सहित कई अहम विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा और उसके सहयोगी दल खाद्य बिल की खामियों, महंगाई, एफडीआई, उत्तराखंड त्रासदी, खराब आर्थिक स्थिति, डॉलर के मुकाबले रूपए की कमजोर स्थिति, सीबीआई-आईबी गतिरोध, चीन का आक्रमक रूख, तेलंगाना, अफगानिस्तान में भारतीय हितों की रक्षा, पेट्रोल-डीजल की कीमत जैसे जनहित और देशहित से जुड़े मुद्दों पर यूपीए सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
इस सत्र में कई विधेयक भी पेश किए जा सकते हैं। खाद्य सुरक्षा विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक, इंश्योरेंस संशोधन विधेयक और पेंशन विधेयक, डायरेक्ट टैक्स कोड विधेयक, आरटीआई विधेयक में संशोधन,रियल एस्टेट(रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) विधेयक के पेश होने की संभावना है।
अलग तेलंगाना राज्य के गठन के निर्णय पर आंध्रप्रदेश के संसद सदस्यों द्वारा सत्र के शुरूआती कुछ दिनों में हंगामा किया जा सकता है। सीमांध्रा क्षेत्र के कांग्रेस और टीडीपी के कुछ सांसदों ने तेलंगाना गठन के विरोध में इस्तीफा दिया है, लेकिन वह स्वीकार नहीं किया गया है। कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि प्रशासन गंभीर कार्रवाई नहीं करेगा। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने वर्तमान आर्थिक स्थिति में रूपए की गिरती कीमत, बढ़ती महंगाई और जीडीपी की धीमी वृद्धि पर बहस की मांग की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सबसे जरूरी अध्यादेश खाद्य सुरक्षा सहित विधायी मामलों में विपक्ष से सहयोग की मांग है। साथ यह वादा भी किया है कि वे विपक्ष द्वारा बताए जाने वाले सभी मुद्दों पर बहस को तैयार रहेगी। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि सत्र 30 अगस्त को समाप्त हो जाएगा और यह काफी रचनात्मक और फलदायी रहेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सत्र के दौरान बीमित पेंशन सेक्टर शुरू करने संबंधी जरूरी बिल के बारे में बातचीत की लेकिन उन्हें भी कोई आश्वासन नहीं मिला। चिदंबरम ने भाजपा नेताओं सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और यशवंत सिन्हा से वित्तीय बिलों के बारे मं चर्चा की, जिन पर इस सत्र में विचार होना है। भाजपा नेता सामान्य और जरूरी वित्तीय कार्यो के बारे में तो सहमत हो गए लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी बीमा और पेंशन सेक्टर में विदेश निवेश का लगातार विरोध करती रहेगी।
भाजपा ने कहा है कि संसद के सुचारू का करने के पक्ष में हैं लेकिन खाद्य सुरक्षा बिल और तेलंगाना के मुद्दे पर हमारी कुछ बाध्यताएं हैं। भाजपा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा, सैद्धांतिक रूप से हम खाद्य सुरक्षा बिल से सहमत हैं लेकिन हमें इस पर बहुत कुछ करना है। छत्तीसगढ़ मॉडल है। किसानों का हित है। हम कई सवाल उठाएंगे और इसमें संशोधन चाहते हैं। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों सहित भ्रष्टाचार के मुद्दे की ओर इशारा किया। तृकां, सपा खाद्य बिल पर सरकार को धोखा दे सकती है। गोरखालैंड तृणमूल कांग्रेस भी सवाल खड़ा करेगी।
नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भाजपा अपनी तरफ से संसद चलाने में पूरा सहयोग करेगी, लेकिन उसपर तेलंगाना मुद्दे की छाया पड़ सकती है। भाजपा खाद्य सुरक्षा विधेयक पर नीतिगत रूप से सहमत है लेकिन इसके कई आयाम पर चर्चा होना जरुरी है। संसद के चलने पर और अधिक चर्चा एनडीए की बैठक में हुई।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर संसद की कार्यवाही शांतिपूर्वक चलाने के लिए सभी दलों के साथ चर्चा की है। बैठक में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार थोड़े समय में ढेर सारे बिल लाना चाहती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा हमें एक रचनात्मक और फलदायी सत्र की उम्मीद है। पिछले दो-तीन सत्रों में काफी अधिक समय बरबाद हुए। संसद के सामने काफी अधिक विधायी कार्य बाकी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार उन सभी मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है, जिन्हें विपक्ष चाहता है।
इस सत्र में विचार के लिए 44 विधेयक रखे जाने हैं, 6 वापस लिए जाने हैं और 14 अन्य पेश किए जाने हैं। लेकिन सत्र में केवल 16 बैठकें होनी हैं। ऐसे में इतने सारे विधायी कार्यों को निपटाना असंभव सा है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि इन सोलह बैठकों में भी प्रभावी बैठकें 12 ही होंगी, क्योंकि इस बीच चार शुक्रवार पड़ेंगे जिनमें दोनों सदनों में गैर सरकारी काम काज होता है। भाजपा ने मांग की है कि सत्र की शुरूआत में ही अलग तेलंगाना राज्य गठन संबंधी प्रस्ताव लाया जाए। पार्टी ने मानसून सत्र में उत्तराखंड में आई आपदा, सीबीआई बनाम आईबी कलह, एफडीआई, रूपए के अवमूल्यन और देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति आदि विषयों पर चर्चा कराने के नोटिस दिए हैं। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने आश्वासन दिया है कि अगर जरूर हुआ तो सभी विषयों को समाहित करने के लिए सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
द्रमुक और तृणमूल सहित कई दलों ने विधायिका के कामकाज में न्यायपालिका के हस्तक्षेप के मुद्दे पर इस सत्र के दौरान गंभीर चर्चा कराने की मांग की है। इन दलों का कहना है कि न्यायाधीश नियुक्ति विधेयक पर फैसला होना चाहिए और उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधिकारों पर चर्चा की आवश्यकता है। कमलनाथ ने इस बात से भी इंकार किया कि मानसून सत्र संसद का अंतिम सत्र होगा और देश निर्धारित समय से पहले चुनावों की ओर बढ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बाद दो और यानी शीतकालीन और बजट सत्र भी होंगे।
First Published: Monday, August 5, 2013, 09:25