Last Updated: Friday, November 16, 2012, 13:25

नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित म्यामां की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची ने भारत और उसकी जनता के साथ अपनी दोस्ती को कुछ इस तरह बयां किया और कहा कि मैं खुद को आंशिक रूप से भारत की नागरिक ( प्यार और सम्मान) की नागरिक महसूस करती हूं।
यहां लेडी श्रीराम कॉलेज में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए सू ची ने इस प्रतिष्ठित संस्था में बिताए अपने पुराने दिनों को याद किया और कहा कि वह कभी भी अपने आप को भारत से दूर महसूस नहीं करतीं।
उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा मालूम था कि मैं इस सभागार में आउंगी ,जहां मैंने गांधीजी का पसंदीदा गीत -रघुपति राघव राजा राम, सीखा था। उनके यह कहने पर दर्शकों की तालियां गूंजने लगीं। सू ची ने 1960 के दशक में लेडी श्रीराम कॉलेज से ही राजनीति में स्नातक की डिग्री हासिल की थी।
म्यामां में दशकों से लोकतंत्र के लिए अभियान चलाने वाली नेता ने कहा कि लेडी श्री राम कॉलेज आना केवल घरवापसी नहीं है बल्कि यह ऐसे स्थान पर आना है जहां , आने की मेरी आकांक्षा ,मैं जानती हूं कि गलत नहीं रही।
लोकतांत्रिक म्यामां के बारे में अपने दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए सू ची ने कहा कि उनके देश को लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ने के लिए भारत की मदद की दरकार है। पच्चीस साल के बाद भारत आयीं म्यामां की लोकतंत्र समर्थक नेता ने कहा कि हमें लोकतंत्र की ओर बढ़ने में आपकी मदद की जरूरत है। हम लोकतंत्र हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। अपने प्रयास में हमें आपकी जरूरत है, हमें आपकी मदद की जरूरत है।
67 वर्षीय सू ची पिछली बार 1987 में भारत आयी थीं। म्यामां की आजादी के नायक माने जाने वाले उनके पिता जनरल आंग सान जवाहर लाल नेहरू के घनिष्ट मित्र थे।
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने मुझे इतना स्नेह दिया है, इतनी उदारता से मेरे प्रति इतनी गर्मजोशी दिखाई है कि मैं कभी भी अपने को भारत से दूर नहीं महसूस करती खासकर उन दिनों में भी जब मेरा आपसे संपर्क नाममात्र रह गया था। विद्यार्थियों से सिद्धांतों से समझौता नहीं करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि सिद्धांतहीन राजनीति दुनिया में सबसे खतरनाक चीजों में से एक है। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 16, 2012, 13:25