रक्षा योजना को मंजूरी, ऑफसेट नीति में बदलाव - Zee News हिंदी

रक्षा योजना को मंजूरी, ऑफसेट नीति में बदलाव



नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह द्वारा सैन्य उपकरणों में कमी को उजागर किए जाने की पृष्ठभूमि में रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को क्षमता विकास के लिए एक योजना को मंजूरी देने के अलावा ऑफसेट नीति में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ एक बड़ा बदलाव किया है। रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने 15 साल की दीर्घकालिक एकीकृत दृष्टिकोण योजना (एलटीआईपीपी) को भी मंजूरी दी, जिसमें सशस्त्र बलों की जरूरतों के स्वदेशीकरण एवं निजी क्षेत्र को पुरजोर तरीके से शामिल कर पूरा करने पर जोर दिया जाएगा।

 

डीएसी की दो घंटे तक चली बैठक में सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन और नौसेना प्रमुख एडमिरल निर्मल वर्मा मौजूद थे। इससे पहले एंटनी ने सेना प्रमुख एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ करीब एक घंटे तक चली अलग बैठक में सेना की जरूरतों की समीक्षा की। ये बैठकें ऐसे समय में हुई हैं जब जनरल सिंह ने सेना में गोला.बारूद की कमी और अन्य अनियमितताओं का मुद्दा उठाया है।

 

डीएसी द्वारा मंजूर 12वीं रक्षा योजना में तीनों बलों की क्षमताओं का विकास उनके भविष्य के अभियानों से संबंधित जरूरतों की तर्ज पर करने के लिए एक रोडमैप है और क्षेत्र के भीतर और बाहर भारत द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका का जिक्र है। डीएसी ने संशोधित रक्षा ऑफसेट दिशानिर्देशों (डीओजी) को भी मंजूरी प्रदान की है जहां उसने जरूरतों को पूरा करने की प्रतिबद्धताओं के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) को रेखांकित किया है और इस तरह से विदेशी कंपनियों की एक प्रमुख मांग को पूरा किया गया है।

 

अधिकारियों ने कहा कि संशोधित नीति में टीओटी को ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को पूरा करने योग्य करार दिया गया है। मंत्रालय ने संशोधनों के अनुसार मांग की है कि टीओटी बिना लाइसेंस शुल्क के मुहैया होनी चाहिए और घरेलू उत्पादन, बिक्री या निर्यात पर कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। ऑफसेट के प्रावधान के तहत विदेशी विक्रेताओं को सिविल एयरोस्पेस, गृह सुरक्षा और प्रशिक्षण के चुनिंदा क्षेत्रों में भारत में उनके करार के मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत निवेश करना होगा। ऑफसेट का उद्देश्य स्वदेशी रक्षा उद्योग और निर्माण क्षेत्र को विकसित करना है। मंत्रालय को पिछले 15 साल से बिना एलटीआईपीपी के काम करना पड़ा था क्योंकि इसे मंजूरी देने में देरी हुई।

 

एलटीआईपीपी और इस साल से प्रभाव में आने वालीं पंचवर्षीय रक्षा योजना दो साल में तैयार की गई है, जिसमें रक्षा मंत्रालय, एकीकृत रक्षा सेवाओं के मुख्यालय और तीनों रक्षा सेवाओं का योगदान है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि एलटीआईपीपी जहां व्यापक दृष्टिकोण वाला दस्तावेज हैं वहीं 12वीं रक्षा योजना में विशेष जरूरतों तथा रक्षा बलों की आधुनिकीकरण की योजना के साथ दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए संसाधनों के आवंटन की बात है। मंत्रालय ने एलटीआईपीपी के अवर्गीकृत संस्करण को अपनी वेबसाइट पर भी डालने का विचार किया है।

(एजेंसी)

First Published: Tuesday, April 3, 2012, 12:34

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