Last Updated: Saturday, June 29, 2013, 00:06

नई दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा देश के छह बड़े राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाने का आदेश देने के बाद अब सरकार इस कानून में बदलाव पर विचार कर रही है ताकि पार्टियों को इसके दायरे से बाहर रखा जा सके।
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच लगभग सर्वसम्मति बनने के मद्देनजर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग इस संबंध में अध्यादेश लाने को लेकर कैबिनेट नोट पर काम करेगा।
परंतु सूत्रों का कहना है कि बहुत कुछ संसद के मानसून सत्र की तारीखों और विशेष सत्र की संभावना पर निर्भर करता है।
अगर मानसून सत्र में विलंब होता है अथवा प्रस्तावित विशेष सत्र नहीं होता तो सरकार अध्यादेश का सहारा लेगी। नहीं तो संसद के अगले सत्र में आरटीआई कानून पर आधिकारिक संशोधन लाएगी।
इस तरह की परिपाटी रही है कि सत्र की तिथि के बारे में घोषणा होने के बाद अध्यादेश नहीं लाया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि यह महज परिपाटी है जो सरकार को कोई अध्यादेश लाने से नहीं रोक सकती।
कार्मिक विभाग को आरटीआई कानून में संशोधन को लेकर अध्यादेश का मसौदा कानून मंत्रालय से मिला है और इसी को आधार बनाकर प्रस्ताव तैयार किया जा सकता है।
पता चला है कि आरटीआई कानून की धारा 2 में प्रस्तावित संशोधन से राजनीतिक दलों को ‘लोक प्राधिकार’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है और वे कुछ व्यक्तियों का संगठन माने जाएंगे।
राजनीतिक दलों को उन संगठनों की (धारा 8) की सूची में शामिल किया जा सकता है जिनके बारे में सूचना हासिल नहीं की सकती।
सूचना आयोग ने कांग्रेस, भाजपा, भाकपा, माकपा, राकांपा तथा बसपा को आरटीआई के दायरे में लाने का आदेश दिया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, June 28, 2013, 17:26