राजपथ पर दिखी आन, बान और शान - Zee News हिंदी

राजपथ पर दिखी आन, बान और शान



नई दिल्ली : राजपथ से ऐतिहासिक लालकिले तक गुरुवार को निकली परंपरागत गणतंत्र दिवस परेड के दौरान विभिन्न झांकियों के जरिए दुनिया की सबसे अधिक सांस्कृतिक विविधता वाले देश भारत की संस्कृति, कला, संगीत, नृत्य और त्योहारों आदि का अद्भुत संगम देखने को मिला। साथ ही दिखी देश की आन, बान और शान की झलक।

 

राजपथ पर सेना के जवानों ने मार्च पास्ट किया और कंधे से कंधा मिलाते हुए राष्ट्रपति तथा मंच पर आसीन अन्य गणमान्य व्यक्तियों को सलामी दी। दिल्ली क्षेत्र के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार पिल्लई और उनके सहयोगी मेजर जनरल राजबीर सिंह ने परेड का नेतृत्व किया। मार्च पास्ट करने वाले सैन्य दस्ते में 61वीं घुड़सवारी दल, पैराशूट रेजीमेंट, बंगाल इंजीनियर ग्रुप एंड सेंटर, ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स, कुमाऊं रेजीमेंट, असम रेजीमेंट, मैहर रेजीमेंट, गोरखा रायफल्स रेजीमेंट और कॉर्प्स ऑफ मिलिट्री पुलिस शामिल है।

 

नौ सेना के दस्ते का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर मणिकंदन के. ने किया। इतिहास में पहली बार वायु सेना के दस्ते का नेतृत्व किसी महिला ने किया और यह कामयाबी फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्नेहा शेखावत के नाम रही। अर्धसैनिक और अन्य सहायक बलों के दस्ते में सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, असम रायफल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, तटरक्षक बल, सशस्त्र सीमा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, रेलवे संरक्षण बल, दिल्ली पुलिस, नेशनल कैडेट कॉर्प्स और राष्ट्रीय सेवा योजना के जवान शामिल थे।

 

बिहार की झांकी में धरहारा परंपरा के माध्यम से परिवार में बेटियों के महत्व एवं स्थान को दर्शाया गया। इस परंपरा के तहत किसी परिवार में लड़की पैदा होने पर 10 फलदार वृक्ष लगाने की परंपरा है। पश्चिम बंगाल की झांकी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर को समर्पित थी जिसमें उनके द्वारा स्थापित शांति निकेतन को दर्शाया गया।

 

जम्मू कश्मीर ने श्रीनगर के स्थापत्यकला एवं धरोहर की झांकी पेश की तो छत्तीसगढ़ की झांकी में मिट्टी का काम करने वाले कलाकारों की पारंपरिक जिंझारी और डोंडाकी कला को प्रस्तुत किया गया। राजपथ से ऐतिहासिक लालकिले तक सड़क के दोनों ओर खचा-खच भरे लोगों ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को खूब सराहा। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी भी थे। राजपथ पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के साथ सलामी मंच पर बैंठी इस वर्ष की गणतंत्र दिवस परेड की खास मेहमान थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा ने इन झांकियों में काफी उत्सुकता दिखाई। महाराष्ट्र की झांकी में राज्य के ऐतिहासिक स्थलों प्राकृतिक आश्चर्यों, स्मारकों, पर्यटन स्थलों के दृश्यों की झलक देखने को मिली।

 

समुद्र की गोद में बसे गोवा की झांकी में वहां के लोगों के उल्लास और मस्ती भरी प्रकृति को उकेरती गोवा कार्निवल का प्रदर्शन किया गया। कर्नाटक की झांकी में प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा एवं पूजा ‘भूताराधाने’ को साकार किया गया जबकि मेघालय की झांकी में जैंतिया त्योहार को जीवंत किया। राजस्थान की झांकी में अमेर के भव्य किला को दर्शाया गया जबकि असम की झांकी में ‘भोरताल नृत्य’ को प्रस्तुत किया गया। पंजाब की झांकी में शेर ए पंजाब महाराज रंजीत सिंह की महिमा देखने को मिली। सामुदायिक भावना के लिए संयुक्त राष्ट्र से पुरस्कृत नगालैंड की झांकी में आपसी भाईचारे को दिखाया गया, वहीं किरत खाम्बू राय समुदाय के मनाये जाने वाले साकेवा त्योहार का प्रदर्शन सिक्किम की झांकी के जरिए हुआ।

 

इसी प्रकार, कपड़ा मंत्रालय की झांकी में हस्तशिल्प, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की झांकी में साक्षर भारत, आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा आदिवासी सशक्तिकरण, सीपीडल्यूडी की झांकी में बर्फ की घाटी, चुनाव आयोग की झांकी में राष्ट्रीय मतदाता दिवस और वित्त मंत्रालय की झांकी में आर्थिक मोचरे को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों का प्रदर्शन किया गया।

 

गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान कृषि मंत्रालय की झांकी में कृषि क्षेत्र के विविधिकरण, इस्पात मंत्रालय की झांकी में इस्पात के राष्ट्र को मजबूत बनाने, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की झांकी में राष्ट्रीय ई प्रशासन और रेल मंत्रालय की झांकी में पंजाब मेल का प्रदर्शन किया गया। इस बार की परेड में 23 राज्यों और केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों की झाकियां देश की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी झांकियों का प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार 2009 के लिए चुने गये 24 बच्चों में से 19 परेड में हिस्सा लिया।

 

राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के दौरान जब देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन हो रहा था, उस समय कई चीजे पहली बार सामने आईं’ जिसमें एक महिला ने पहली बार वायु सेना दस्ते का नेतृत्व किया। परेड के दौरान 3000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि मिसाइल, हाल ही में विकास किए गए मानवरहित विमान और कुछ समय पहले खरीदे गए सुपर हकरुलस विमान का भी पहली बार प्रदर्शन किया गया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्नेहा शेखावत पहली महिला बनी जिन्होंने 63 वर्ष की परेड के इतिहास में वायु सेना दस्ते का नेतृत्व किया। परेड के दौरान आत्मविश्वास से लवरेज स्नेहा ने वायु सेना के 144 सदस्यीय दस्ते का नेतृत्व ‘एयर बैटल’ की धुन पर किया।

 

पिछले वर्ष नवंबर में अग्नि चार मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। राजपथ पर लोगों की हषर्ध्वनि के बीच 3,000 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता वाली मिसाइल ने भारत की स्वदेशी रक्षा अनुसंधान क्षमता का प्रदर्शन किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने पहली बार 150 किलोमीटर तक मार करने वाले प्रहार मिसाइल प्रदर्शन किया। इसके साथ ही मानव रहित विमान रूस्तम 1 का प्रदर्शन किया गया। इसका नामकरण दिवंगत प्रो. रूस्तम बी दमानिया ने किया।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, January 26, 2012, 14:42

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