'लोकपाल का दायरा घटाना चाहती है सरकार' - Zee News हिंदी

'लोकपाल का दायरा घटाना चाहती है सरकार'

नई दिल्ली : टीम अन्ना ने सरकार पर प्रस्तावित लोकपाल के कद को घटाकर ‘शक्तिहीन और टिन का खाली कनस्तर’ बना देने का आरोप लगाया है। टीम ने कहा कि लोकपाल के दायरे से नागरिक संहिता एवं निचली नौकरशाही को बाहर करने से वे आश्चर्यचकित हैं।

 

टीम अन्ना ने आरोप लगाया कि संसद के प्रस्ताव के उलट यह कदम उठाया गया है। टीम अन्ना के एक बयान में कहा गया है, ‘सरकार ने सीबीआई, न्यायपालिका, नागरिक संहिता, व्हिसल ब्लोवर की सुरक्षा, ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे से हटाने का प्रस्ताव किया है। क्या इससे लोकपाल टिन का ऐसा खाली कनस्तर नहीं बन जाएगा, जिसके पास न तो कोई शक्ति होगी और न ही अधिकार होगा?’ बयान में कहा गया है कि संसद द्वारा एक प्रस्ताव पारित किए जाने के आधार पर हजारे ने अपना अनशन तोड़ दिया था। इस प्रस्ताव को कुछ लोगों ने ‘सदन की भावना’ बताया था। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हजारे को लिखे अपने पत्र में इसका जिक्र एक ‘प्रस्ताव’ के रूप में किया था।

 

टीम अन्ना ने कहा कि यह प्रस्ताव स्पष्ट तौर पर कहता है कि लोकपाल विधेयक के जरिए तीन मुद्दों का समाधान किया जाएगा। इन तीन मुद्दों में राज्यों में लोकायुक्त का पद इसी विधेयक से सृजित किया जाए और निचली नौकरशाही एवं नागरिक संहिता को लोकपाल विधेयक में शामिल किया जाना शामिल है। टीम अन्ना के बयान में कहा गया है कि पूर्व के प्रस्ताव के विपरीत उठाए जा रहे इन कदमों से वे आश्चर्यचकित हैं, जिसके तहत सरकार ने नागरिक संहिता और निचली नौकरशाही को लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखने और नागरिकों की शिकायतों का निपटारा करने के लिए एक कमजोर एवं प्रभावहीन विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है। बयान में कहा गया है कि स्थायी समिति की चर्चा से बाहर आ रही इस तरह की खबरें चिंता का विषय है।

 

टीम अन्ना ने ग्रुप सी एवं ग्रुप डी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग करते हुए कहा कि निचली नौकरशाही को बाहर रखने के कदम का वे सख्त विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, ‘क्या इसका मतलब यह नहीं है कि निचली नौकरशाही भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकेंगे और उनकी जांच कोई एजेंसी नहीं कर सकेगी? कहीं हम उन्हें भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का लाइसेंस तो नहीं दे रहे हैं? एक आम आदमी को रोज-रोज ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों के पास जाना होता है। भ्रष्टाचार विरोधी उनके आंदोलन में लाखों लोगों ने भाग लिया था और रोज-रोज के इस भ्रष्टाचार से छुटकारा पाना चाहा था।

 

सीबीआई को लोकपाल के नियंत्रण से बाहर रखने के मुद्दे पर टीम अन्ना ने कहा कि एजेंसी के बारे में स्थायी समिति का प्रस्ताव लोकपाल का दायरा और प्रभाव घटाकर महज एक ‘डाकघर’ में तब्दील कर देगा, जो शिकायतें प्राप्त करेगा, उन्हें सीबीआई के पास भेजेगा, सीबीआई की रिपोर्ट प्राप्त करेगा और उन्हें अदालत के समक्ष पेश करेगा।

 

टीम अन्ना ने न्यायाधीशों की आपरधिक जांच की मांग की, जिसे न्यायिक जवाबदेही विधेयक में भी शामिल नहीं किया गया है।बयान में कहा गया है कि इसे अब लोकपाल में शामिल किया जाना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 22, 2011, 00:15

comments powered by Disqus