Last Updated: Friday, December 9, 2011, 03:50
नई दिल्ली: लोकपाल विधेयक की पड़ताल करने वाली संसद की स्थायी समिति ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर दी।
राज्यसभा में संसद की विधि एवं न्याय , शिकायत निवारण तथा कार्मिक मामलों की समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने यह रिपोर्ट पेश की जबकि लोकसभा में समिति के सदस्य पिनाकी मिश्रा ने इसे सदन के पटल पर रखा।
इस रिपोर्ट में समिति के 30 में से कांग्रेस के तीन सदस्यों समेत 16 ने अपना असहमति नोट लगाया है। ये असहमति के नोट भिन्न-भिन्न मुद्दे हैं। कुछ ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की है तो कुछ ने ग्रुप सी और डी कर्मचारियों को भी लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की गई है।
रिपोर्ट में झूठी शिकायत पर दो वर्ष की बजाय न्यूनतम छह माह मामूली कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सिफारिश की गई है। यह प्रावधान बुरी नियत से शिकायत करने का दोष साबित होने के बाद ही लागू होगा। 19 दिसंबर को संशोधित बिल फिर से संसद में पेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री को दायरे में नहीं रखने पर भाजपा, बीजद, सपा, लोजपा, राजद और वाम दलों के 13 सांसद पहले ही विरोध पत्र दे चुके हैं। लोजपा लोकपाल में आरक्षण की मांग भी कर रही है।
(एजेंसी )
First Published: Saturday, December 10, 2011, 11:14