Last Updated: Saturday, February 9, 2013, 00:34

नई दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब एक दशक बाद उनका बहिष्कार खत्म करने वाले यूरोपीय संघ से कहा है कि वर्ष 2002 के दंगे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण थे।
मोदी यहां जर्मन दूतावास में आयोजित यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के राजदूतों एवं प्रतिनिधियों के साथ दोपहर के भोजन पर एक बैठक में असामान्य रूप से पहुंचे थे। जर्मन राजदूत माइकल स्टीनर ने यह भोज आयोजित किया था।
गुरुवार को यूरोपीय संघ के राजदूत जोओ क्रैविन्हो ने इस बैठक के बारे में बताया, उससे पहले एक माह तक किसी को इसकी भनक भी नहीं थी। स्टीनर ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने हमेशा से कहा है कि जर्मनी का गुजरात विधानसभा चुनाव में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं रहा और यह कि वह चुनाव नतीजे के बाद ताजा दृष्टिकोण अपनाएगा।
उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल वही बात हम कर रहे हैं, उसका एक हिस्सा मुख्यमंत्री मोदी से सीधी बातचीत करना है। भारत एक लोकतंत्र है। हम लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करते हैं। हम भारत में चुनावी नतीजों का सम्मान करते हैं और हमें उसकी न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है। हम अब नये चरण में हैं।’
स्टीनर ने हालांकि बैठक के बारे में इससे ज्यादा कुछ बताने से इनकार कर दिया लेकिन सूत्रों ने बताया कि सात जनवरी को यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान मोदी ने कहा कि वह न्यायिक फैसले का सम्मान करेंगे और यह कि ये घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण थीं। समझा जाता है कि मोदी ने उनसे यह भी कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।
जब क्रैविन्हो से पूछा गया कि 10 सालों तक मोदी का बहिष्कार करने वाला यूरोपीय संघ अपना रुख नरम कर रहा है, उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2002 में जो कुछ हुआ, उसकी जिम्मेदारी के बारे में मेरा मानना है कि एक ऐसा मामला है जिसमें न केवल भारतीयों बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को दिलचस्पी है।’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 में जो कुछ हुआ, उससे काफी हद तक संवेदनाएं जुड़ी हैं।
उन्होंने कहा, ‘और यह एक ऐसा मामला है जिसपर हम बहुत गौर से नजर रख रहे हैं।’ नरौदा पाटिया दंगे में पिछले साल भाजपा विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी को दोषी ठहराने के गुजरात की एक अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए क्रैविन्हो ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था धीमी है लेकिन न्याय करती है।
सूत्रों के अनुसार, ईयू देश अब इस बात को महसूस करते हैं कि मोदी के साथ जुड़ने के लिए यह सही समय है। गौर हो कि मोदी तीसरी बार निरंतर निर्वाचित हुए हैं और उनके खिलाफ कोई कानूनी निर्णय भी नहीं आया है। इन देशों में यह भी महसूस किया जा रहा है कि वह (मोदी) राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं।
ज्ञात हो कि बीते अक्टूबर में ईयू के सदस्य देश ब्रिटेन ने दशक पुराने मोदी के बहिष्कार को खत्म कर दिया था। भारत में ब्रिटेन के हाई कमिश्नर जेम्स बेवन के मोदी से मुलाकात करने के बाद सौहाद्रपूर्ण सहयोग एवं नए गठजोड़ की संभावना जगी थी। दोनों लोगों के बीच बेहतर आर्थिक सहयोग की संभावना पर चर्चा भी हुई थी।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 8, 2013, 10:40