Last Updated: Tuesday, May 8, 2012, 14:43
नई दिल्ली : अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए और ठोस कदम उठाने चाहिए कि उसकी भूमि का इस्तेमाल आतंकवादी अपनी गतिविधियां संचालित करने के लिए नहीं करें। उन्होंने यह भी कहा कि हाफिज सईद वर्ष 2008 में हुए मुंंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता है।
हिलेरी विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से अपनी बातचीत के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। हिलेरी और कृष्णा दोनों नेताओं ने पाकिस्तान पर मुंबई हमले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये दबाव डालने पर सहमति जताई और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने का वादा किया। अपनी वार्ता के दौरान कृष्णा और हिलेरी ने मुंबई हमला, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के परमाणु संकट जैसे मुद्दों पर बातचीत की और आशा व्यक्त की कि भारत ईरान से तेल के आयात में कटौती करेगा।
हिलेरी ने कहा कि हम सब हिंसक उग्रवाद पर काबू पाने की बात पर सहमत हैं। पाकिस्तान यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रयास करे कि आतंकवादी देश के अंदर या बाहर कहीं भी अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उसकी भूमि का इस्तेमाल न करें। दुर्भाग्य की बात है कि हमलों में 30 हजार पाकिस्तानी अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने इस संबंध में दुनियाभर की सरकारों से ‘अधिक समन्वित और ठोस कदम’ उठाने पर बल दिया। सईद के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में हिलेरी ने कहा कि उनके देश के पास इस बात को मानने की वजह है कि सईद मुंबई हमले का ‘मुख्य साजिशकर्ता’ था। उस हमले में 166 लोगों की जान गई थी।
कृष्णा ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अफगानिस्तान पर हाल में हुए आतंकवादी हमलों ने इस बात की जरूरत स्पष्ट कर दी है कि पड़ोस से आतंकवादियों की आश्रयस्थली खत्म करना जरूरी है और पाकिस्तान को 26/11 के हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही आतंकवाद पर काबू पाने के लिए कदम उठाना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान से अधिक ठोस कदम उठाने पर बल दिया। अमेरिका ने पिछले माह पाकिस्तान से सक्रिय आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तोएबा के संस्थापक सईद के बारे में सुराग देने वाले के लिए एक करोड़ अमेरिकी डालर के इनाम की घोषणा की है। हिलेरी ने आशा व्यक्त की कि इनाम की घोषणा से सईद की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ मुकदमा चलाने में सहायता मिलेगी। ईरान के मामले में हिलेरी ने कहा कि अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में भारत को एक भागीदार के रूप में देखता है और यह भी चाहता है कि यह देश ईरान से तेल आयात में कमी लाए।
उन्होंने कहा कि इस राजनयिक प्रयास का, जो हम सब हासिल करना चाहते हैं, सबसे अच्छा तरीका है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट रहे और दबाव बनाये रखे जिसकी वजह से ईरान को बातचीत के लिए वापस लौटना पड़ा। हिलेरी ने साफ कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान पर तब तक दबाव बनाए रखेगा जब तक इस मसले का कोई ‘शांतिपूर्ण राजनयिक हल’ नहीं निकल आता। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने उर्जा समन्वयक को अगले माह भारत भेजेगा ताकि उर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर भारतीय अधिकारियों से विचार विमर्श कर सके। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका का समान लक्ष्य है।
विदेश मंत्री कृष्णा ने कहा कि ईरान हमारे लिए तेल आयात का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा ईरान के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों पर भारत का रुख वही है और यह भारत और अमेरिका के बीच ‘मतभेद की वजह’ नहीं है। इससे पूर्व कृष्णा ने कहा कि भारत की आईटी कंपनियों को अपने पेशेवर लोगों के मामले में जिस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और अमेरिका में जिस तरह का संरक्षणवादी रवैया है, उसके बारे में भारत की भावना से उन्होंने हिलेरी को अवगत करा दिया। उन्होंने कहा कि असैन्य परमाणु ऊर्जा के मामले में वाणिज्यिक सहयोग बढाने पर हमने अच्छी बातचीत की। उन्होंने कहा कि हिलेरी के साथ हुई बैठक में अफगानिस्तान पर भी चर्चा हुई। भारत ने अफगान लोगों की प्रशासन क्षमता बनाने, सुरक्षा, आर्थिक विकास, निवेश, सहायता एवं क्षेत्रीय संपर्क जैसे मामलों पर सतत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता बनाए रखने पर बल दिया।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 9, 2012, 11:18