सरकारी लोकपाल जनता से धोखा : अन्ना हजारे - Zee News हिंदी

सरकारी लोकपाल जनता से धोखा : अन्ना हजारे

नई दिल्ली : अन्ना हजारे का कहना है कि संसद की स्थायी समिति ने जो विधेयक संसद को लौटाया है, उसमें लोकपाल से जांच का अधिकार ही छीन लिया है जबकि सरकार द्वारा तैयार विधेयक में यह अधिकार दिया गया था। यह देश की जनता के साथ धोखाधड़ी है।

 

लोकपाल विधेयक को लेकर रविवार को जंतर मंतर पर धरना देने जा रहे अन्ना ने सरकार को यह चेतावनी भी दी कि अगर 22 दिसंबर तक संसद विधेयक को पारित नहीं करती है तो वह 27 तारीख से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘भ्रष्टाचार की वजह से आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। जब तक श्रेणी-सी और डी के सरकारी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में नहीं लाया जाएगा, देश के गरीबों को न्याय नहीं मिलेगा।’

 

अन्ना ने कहा, ‘ये सरकार बार-बार पलटी खा रही है और लोकपाल पर अपने वायदे से पीछे हट रही है। प्रधानमंत्री के पत्र को कचरे में डाल दिया। मुझे संदेह है इसके पीछे किसी और का हाथ है। इसके पीछे राहुल गांधी है। उसके अलावा किसी और में दम नहीं कि ये सब करवा सके। किसकी हिम्मत है कि राहुल की बात न माने। तभी तो गड़बड़ हो रही है।’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘राहुल इस देश के युवा नेता हैं। अगर वह समाज की ओर से दिए गए विधेयक को मानें तो राहुल के साथ मिलकर काम करेंगे।

 

अन्ना ने कहा कि अगर ये सरकार जन लोकपाल नहीं बनाती है तो अगले दो साल तक जनता के बीच जाकर सरकार के खिलाफ जागरूक करुंगा और फिर आम चुनाव में जनता से इस सरकार को वोट नहीं देने के लिए कहूंगा। अन्ना ने कहा कि संसद की स्थायी समिति ने जो विधेयक संसद को लौटाया है, उसमें लोकपाल से जांच का अधिकार ही छीन लिया है जबकि सरकार द्वारा तैयार विधेयक में यह अधिकार दिया गया था। यह देश की जनता के साथ धोखाधड़ी है।

 

अन्ना ने कहा कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि वह संसद में इस विधेयक को लाएंगे। प्रधानमंत्री उन्हें पत्र लिखकर कहते हैं कि नागरिक चार्टर और सभी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में प्रावधान विधेयक में किया जाएगा और अब स्थायी समिति का अध्यक्ष कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी बोलते हैं कि अन्ना को ऐसा कोई पत्र दिया ही नहीं था। अन्ना ने कहा, ‘ये सरकार है या बनिये की दुकान। यह देश की जनता के साथ धोखाधड़ी है।’ उन्होंने कहा कि हमने सरकारी मसौदा नामंजूर किया तो संयुक्त समिति बनी, जिसमें
सरकार के पांच वरिष्ठ मंत्री थे। ढाई महीने समिति की बैठकें चलीं लेकिन सरकार ने हमारी बातों को विधेयक के मसौदे में शामिल नहीं किया। कैबिनेट ने जो विधेयक मंजूर किया, वह सरकार का अपना विधेयक था। इस प्रकार स्थायी समिति में हमारे विधेयक पर तो चर्चा हुई ही नहीं।

 

अन्ना ने कहा कि स्थायी समिति में 30 सदस्य थे, जिनमें से दो अनुपस्थित रहते थे। विधेयक का 17 सदस्यों ने विरोध किया है जबकि केवल 11 ने समर्थन। ये लोकशाही है या हुकुमशाही। जो 11 लोगों ने कहा, उसे सही माना जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमने 16 अगस्त को आंदोलन किया। जनता की आवाज उठायी। पूरा देश
अनशन में शामिल हुआ। मैं सरकार को चेतावनी देता हूं कि अगर 22 दिसंबर तक लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो 27 से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दूंगा। जितने दिन संसद नहीं चली है, उतने दिन बढ़ाइए। यह विधेयक पूरे देश का प्रश्न है, जनता का प्रश्न है।’

 

यह पूछने पर कि अगर वह जनता से कांग्रेस को वोट नहीं देने के लिए कहेंगे तो फिर किसे वोट देने को कहेंगे। अन्ना ने कहा, ‘मैं जनता से कहूंगा कि कांग्रेस को वोट मत दो। चारित्रिक को वोट दो। कांग्रेस पर अविश्वास है। मैं युवाओं का आह्वान करता हूं कि सड़कों पर उतरो लेकिन हिंसा मत करना। जो मिसाल पिछले आंदोलनों में हमने कायम की है, आज पूरी दुनिया उसकी चर्चा कर रही है। हम लड़ेंगे लेकिन अहिंसक तरीके से।’

 

अन्ना ने बताया कि हमारे 32 मुद्दों को विधेयक में शामिल नहीं किया गया। सरकार अगर बात करेगी, तभी समाधान निकलेगा। कल हमने सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है ताकि खुलकर चर्चा हो जाए। भाजपा से अरुण जेटली, जद यू से शरद यादव, भाकपा से ए बी बर्धन, माकपा से वृन्दा करात, सपा से राम गोपाल यादव, तेदेपा से चंद्रबाबू नायडू आएंगे। कांग्रेस को भी पत्र लिखा था लेकिन उसने जवाब दिया कि वह किसी को नहीं भेजेगी। फिर भी कांग्रेस को दोबारा पत्र भेजा गया है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 11, 2011, 11:47

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