Last Updated: Monday, December 5, 2011, 10:41

नई दिल्ली : सरकार के लोकपाल विधेयक के वर्तमान संस्करण को केवल एक औपचारिकता करार देते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बी सी खंडूरी ने सोमवार को कहा कि ऐसा लोकायुक्त संस्थान भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगा सकता।
खंडूरी ने यहां संवाददाताओं से कहा, अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी (लोकपाल विधेयक संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है)। लेकिन जिस तरह वह बात कर रहे हैं, उससे लगता है कि यह केवल एक औपचारिकता है, यह सही नहीं है। जब इसका भ्रष्टाचार पर कोई नियंत्रण ही नहीं होगा तो लोकपाल के मुद्दे पर ऐसी औपचारिकता का क्या मतलब है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके राज्य ने एक ऐसे लोकायुक्त संस्थान की स्थापना का प्रयास किया जो भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रशासनिक और वित्तीय दबावों से उपर है। अन्ना पक्ष द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक की तर्ज पर बनाए जा रहे उत्तराखंड के विधेयक में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, निचले स्तर पर न्यायपालिका, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों सहित सरकारी अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में लाया जाएगा।
विधेयक में न्यूनतम छह माह की और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों तथा सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को इससे बाहर रखा गया है। लोकायुक्त में एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होंगे। जरूरत के अनुसार, सदस्यों की संख्या बढ़ा कर सात की जा सकती है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, December 5, 2011, 16:11