Last Updated: Sunday, July 22, 2012, 11:24
नई दिल्ली : रेलवे सहित कई सरकारी एजेंसियों द्वारा रक्षा मंत्रालय की भूमि प्रयोग के लिए मांगे जाने के संबंध में मंत्रालय ने साफ किया है कि अन्य के साथ साझा करने के लिए उसके पास कोई अतिरिक्त भूमि नहीं है तथा उसे रक्षा बलों की मांग को पूरा करने के लिए ही अतिरिक्त भूमि की जरूरत होगी।
रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने रक्षा पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुति देते हुए कहा कि ‘कोई अतिरिक्त भूमि’ नहीं है तथा कुछ भूमि ‘परिचालन कारणों’ से खाली रखी गई है। इसमें कहा गया है कि तीनों सशस्त्र बलों ने अतिरिक्त भूमि की जरुरत का अनुमान लगाया है।
अधिकारियों ने कहा कि शिविर मैदान और परित्यक्त हवाई क्षेत्रों को प्रशिक्षण तथा अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है जबकि कुछ को ‘भविष्य में प्रयोग’ के लिए रखा गया है। रेलवे ने हाल में रक्षा मंत्रालय से मेरठ और अंबाला कैंटोमेंट में अपने समर्पित फ्रेट कॉरीडोर के लिए कुछ भूमि मुहैया कराने को कहा था। इसके साथ ही हवाई अड्डा प्राधिकरण भी समर्पित हवाई कार्गो सुविधा विकसित करने के लिए रक्षा मंत्रालय से लोहेगांव हवाई अड्डे के पास भूमि प्राप्त करने के लिए बातचीत कर रहा है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 22, 2012, 11:24