Last Updated: Monday, September 2, 2013, 22:55
नई दिल्ली : केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को यह कहते हुए पूर्व रक्षा सचिव शशि कांत शर्मा को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) पद पर नियुक्त किए जाने को सही ठहराया कि सरकार ने अपने अधिकारों के दायरे में रहते हुए काम किया है कि और महज ‘आशंकाओं’ के आधार पर फैसले लेने की प्रक्रिया को ‘आउटसोर्स’ नहीं किया जा सकता।
शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी डी अहमद की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘फैसले लेने की प्रक्रिया और केंद्र सरकार के अधिकारों को आउटसोर्स कैसे किया जा सकता है?’ याचिका में सीएजी की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश दिए जाने की मांग भी की गयी है।
वाहनवती ने कहा, ‘ऐसा नहीं किया जा सकता। याचिका (सीएजी की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश की मांग करने वाली) संवैधानिक नियमों के खिलाफ है। महज कुछ लोगों की आशंकाओं के आधार पर चयन प्रक्रिया में बदलाव नहीं किया जा सकता।’
संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए वाहनवती ने कहा कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और उसकी मंत्री-परिषद की ‘मदद या सलाह’ पर काम करता है और कानून यह नहीं कहता कि सीएजी के पास अंकेक्षण (ऑडिटिंग) की विशेषज्ञता होनी ही चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 2, 2013, 22:55