Last Updated: Tuesday, July 24, 2012, 22:57
नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पद छोड़ने की पूर्वसंध्या पर मंगलवार को भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर करते हुए कहा कि यह सुशासन का दुश्मन है। उन्होंने सरकार और जनता से भ्रष्टाचार से संयुक्त तौर पर लड़ने का आह्वान किया।
पाटिल ने राष्ट्र के नाम अपने विदाई संदेश में कहा कि भ्रष्टाचार विकास और सुशासन का शत्रु है। इससे छुटकारा पाना चाहिए। सरकार और जनता को व्यापक तौर पर साथ मिलकर इस राष्ट्रीय उद्देश्य को प्राप्त करना चाहिए। राष्ट्रपति ने गठबंधन राजनीति के बारे में भी विचार रखते हुए कहा कि चुनावों से अब ऐसी सरकारें आ रहीं हैं जो ज्यादातर गठबंधन वाली हैं।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय आकांक्षाएं भी हैं। अपेक्षाएं बढ़ रहीं हैं और लोग अपनी समस्याओं का तेजी से समाधान चाह रहे हैं। इन हालात में वादे पूरे किये जाने चाहिए, जिम्मेदारी निभाई जानी चाहिए और परिणाम मिलने चाहिए पाटिल ने कहा कि लोकतंत्र की भावना अंतर्निहित होनी चाहिए ताकि हमारे व्यवहार में यह झलके।
उन्होंने कहा कि नकारात्मक रवैये से निराशा और हताशा फैलती है जो हमारे देश के हित में नहीं है। राष्ट्रपति ने देशवासियों से आह्वान किया कि अन्य लोगों की जरूरतों के प्रति उपेक्षापूर्ण एवं संवेदनाहीन नहीं होना चाहिए तथा आसपास हो रही चीजों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
पाटिल ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की स्थिरता और सफलता की निर्भरता सामाजिक रवैये, सकारात्मक व्यवहार तथा मूल्यों की प्रतिबद्धता पर टिकी है। हमारे देश के संविधान का पूरी तरह सम्मान किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि जब तक क्षेत्र के सामने आतंकवाद और उग्रवाद की समस्याएं हैं हम अपनी सुरक्षा को कम नहीं कर सकते। उन्होंने सीमाओं पर पहरेदारी में सशस्त्र बलों की अहम भूमिका और कानून व्यवस्था बनाये रखने में सुरक्षा बलों की भूमिका की तारीफ की।
भविष्य की चुनौतियों के लिहाज से एकता की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को किसी विभाजनकारी एजेंडे को प्रश्रय नहीं देना चाहिए। दहेज, बाल विवाह, कन्या भ्रूणहत्या और नवजात शिशुओं की हत्या जैसी सामाजिक बुराइयों पर चिंता जताते हुए पाटिल ने कहा कि इससे लिंगानुपात का अंतर बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले बहुत परेशान करने वाले हैं। ये पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और सभी को इनका विरोध करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार, सामाजिक संगठनों, एनजीओ और अन्य स्वैच्छिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा। इन विषयों पर कानून पारित हुए हैं और इनकी समीक्षा हो सकती है। मेरा यह भी मानना है कि केवल कानून पारित करना पर्याप्त नहीं होगा। जागरुकता लाने के लिए सामाजिक प्रयासों की शुरूआत परिवार से शुरू होनी चाहिए ताकि युवा मन सही मूल्यों को आत्मसात करें। पाटिल ने नशीले पदाथोर्ं के दुरुपयोग और शराब की लत के बुरे प्रभावों से भी लोगों को जागरुक करने को अहमियत देने पर जोर दिया जिससे परिवार में खटास आ जाती है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 24, 2012, 22:57