Last Updated: Thursday, August 9, 2012, 00:20
नई दिल्ली : नौसेना ने कहा है कि स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का जल्द ही समुद्री परीक्षण शुरू हो जायेगा जो भारत के ‘परमाणु त्रय’ को पूरा करने और विश्वसनीय तथा अभेद्य जवाबी कार्रवाई की क्षमता को हासिल करने के प्रयासों का हिस्सा है। इस बीच नौसेना की परंपरागत पनडुब्बी क्षमता का स्तर गिर रहा है और नौसेना विदेशी गोदियों में पनडुब्बी निर्माण के विकल्प पर विचार कर रही है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल निर्मल वर्मा ने यहां विदाई संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अरिहंत तेजी से अपने परिचालन की ओर बढ़ रही है और हम आशा करते हैं कि आने वाले महीनों में इसका समुद्री परीक्षण शुरू हो जायेगा । हमारी पहले इस्तेमाल नहीं करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता के लिये एक विश्वसनीय और अभेद्य जवाबी कार्रवाई क्षमता अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना परमाणु त्रय (अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल, बमवषर्क विमान और समुद्र के अंदर से छोड़ी जाने वाली बैलेस्टिक मिसाइल) को पूरा करने जा रही है और हमारी नौवहन और परमाणु सिद्धांत को एक साथ किया जायेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारी परमाणु प्रतिरोधी क्षमता समुद्र से आए।
उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को हमलावर परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र के शामिल किये जाने से भारत उन चुनिंदा छह देशों के समूह में शामिल हो गया है जो परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी संचालित करते हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 9, 2012, 00:20