Last Updated: Wednesday, March 13, 2013, 18:34
नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा पेश वर्ष 2013-14 के आम बजट को आंकड़ों की बाजीगरी करार देते हुए विपक्ष ने आज वित्त मंत्री को सलाह दी कि वह चार्टर्ड एकाउंटेंट की तरह नहीं बल्कि वित्त मंत्री की तरह देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने के लिए ठोस नीतियां बनाएं।
विपक्ष ने बजट में पेश लेखा-जोखा को ‘हवाबाजी’ बताते हुए कहा कि यदि सरकार की नीतियां ऐसी ही उथली रहीं तो एक दिन देश की संसद राष्ट्रीय हितों से नहीं बल्कि विदेशी हितों से संचालित होगी। आम बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने आरोप लगाया कि बजट में राजकोषीय घाटे और चालू घाटे का रोना रोया गया है। सरकार खुद यह बात कह रही है कि यदि ऐसे ही हालात जारी रहे तो देश की अर्थव्यवस्था 1990-91 के दौर में पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार अर्थव्यवस्था की खराब हालत का रोना रो रही है तो दूसरी ओर ‘इकोनोमिक स्पेस’ पैदा करने की बात कर रही है। लेकिन उसके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि यह ‘इकोनोमिक स्पेस’ आएगा कहां से ? देश की अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा देने के लिए मजबूत आर्थिक नीतियां बनाने का सुझाव देते हुए जोशी ने कहा कि सरकार वालमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए दरवाजे खोल रही है लेकिन ये वे कंपनियां हैं जिनके लिए मुनाफा कमाना और शोषण करना ही संस्कृति है।
जोशी ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक जैसी संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए। सरकार को भ्रष्टाचार दूर करने के कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी निधियों पर निर्भर होने की बजाय हमें अपनी आंतरिक क्षमताओं पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 13, 2013, 18:34