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FDI पर अपना रुख साफ करें सपा-बसपा: राजनाथ सिंह

FDI पर अपना रुख साफ करें सपा-बसपा: राजनाथ सिंहलखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी और बसपा से खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति दिये जाने के सवाल पर अपना रुख साफ करने की मांग की है।

सिंह ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि एक तरफ तो सपा बसपा जनता के सामने एफडीआई के विरोध में बयानबाजी करते रहे है, मगर दूसरी तरफ कांग्रेसनीत संप्रग से उनकी मिलीभगत का अंदेशा होता है।

सिंह ने कहा कि देश हित में वे सपा और बसपा से एफडीआई पर लोकसभा में नियम 184 के तहत होने वाली चर्चा के बाद मत विभाजन में सरकार के विरोध में मतदान की अपील करते हैं।

उन्होंने कहा कि इस मत विभाजन में हारने पर सरकार गिरने वाली नहीं है , मगर एफडीआई लागू होने से देश के सामने खड़ी चुनौती टल जायेगी और देश आर्थिक गुलामी के चंगुल में फंसने से बच जायेगा।

कतिपय राजनीतिक दलों की इस नीति पर कि वे भाजपा के साथ मतदान नहीं करेंगे , पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने सवाल किया कि यदि कहीं आग लगी हो और भाजपा उसे बुझा रही हो तो क्या वे आग बुझाने में शामिल नहीं होंगे।

यह याद दिलाते हुए कि तत्कालीन वित्त मंत्री और अब देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद को आश्वस्त किया था कि संबंधित पक्षों को विश्वास में लिए बिना एफडीआई पर कोई निर्णय नहीं लिया जायेगा , सिंह ने कहा कि संसदीय इतिहास में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की तरफ से किसी भी सरकार ने संसद की ऐसी अवमानना नहीं की थी। उन्होंने नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) पर कांग्रेस के हालिया हमलो का उल्लेख करते हुए कहा कि संसदीय संस्थाओं की अवमानना कांग्रेस का स्वभाव बन गया है, जो संसदीय लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है।

विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में सब्सिडी के नगद हस्तांरण की योजना पर उन्होंने कहा कि जब चुनाव नजदीक आते हैं तो कांग्रेस जनता के सामने इस तरह का चारा फेंकती है। याद दिलाया कि पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेसनीत संप्रग ने किसानो की कर्ज मांफी की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि कोई कदम साफ नीयत से उठाया जाना चाहिए , तभी लोगों को उसका पूरा फायदा मिलता है।

सिंह ने उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ समाजवादी पार्टी पर भी किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। कहा कि चुनाव के दौरान किसानों का 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ कर देने की घोषणा की थी , सरकार बन गयी तो उसमें सहकारी ग्राम्य विकास बैंक का ही कर्ज माफ करने की शर्त लगा दी। सवाल किया कि उन किसानों का क्या होगा जिन्होंने सरकारी बैंको से कर्जा लिया है। उन्होंने आतंकवादी मामलो के आरोपियों पर से मुकदमे वापस लेने की दिशा में सपा सरकार की कथित कवायद का जिक्र करते हुए कहा कि यह कदम वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है , जो अति निन्दनीय है।

उन्होंने गन्ने का पेराई सत्र शुरु हो जाने के बावजूद गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किये जाने के लिए अखिलेश यादव सरकार की आलोचना की और गन्ने का प्रति कुंतल 400 रुपये का समर्थन मूल्य घोषित किये जाने मांग की। (एजेंसी)

First Published: Saturday, December 1, 2012, 19:00

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