Last Updated: Monday, August 12, 2013, 15:38

कोच्चि : देशज तकनीक से निर्मित पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण कर सोमवार को भारत 35,000 टन से ज्यादा वजन वर्ग के युद्धपोत का डिजाइन एवं निर्माण करने की क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया।
रक्षामंत्री एके एंटनी की पत्नी एलिजाबेथ ने कोच्चि गोदी में 37,500 टन के विमानवाहक पोत का जलावतरण कराया।
एंटनी ने इस अवसर पर अपने भाषण में कहा, ‘यह समूचे राष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक दिन है और देश के लिए गर्व का एक क्षण है जिसने युद्धपोत डिजाइन एवं विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की है। सिर्फ कुछ ही उन्नत देशों के पास इस तरह के विमानवाहक पोतों के डिजाइन एवं विनिर्माण की क्षमता है।’
रक्षामंत्री ने कहा कि यह देश में युद्धपोत निर्माण के क्षेत्र में लंबे सफर का एक ‘अहम’ कदम है। इस आकार के पोत के डिजाइन एवं निर्माण की क्षमता अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस के पास ही है।
एंटनी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए नौसेना की क्षमताएं उन्नत की जानी चाहिए कि यह ‘हमारे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ किसी संभावित दुस्साहस को नाकाम करने के लिए उच्च संचालनात्मक तैयारी’ बरकरार रखे।
भारत की योजना अपने पूर्वी और पश्चिमी समुद्री क्षेत्रों के लिए कम से कम दो विमानवाहक पोत हासिल करने की है। उसकी योजना देश में और भी विमानवाहक पोत निर्मित करने की है। ये पोत आज जलावतरित किए गए पोत से आकार में बड़े होंगे। आईएनएस विक्रांत के जलावतरण ने उसके निर्माण के पहले चरण के समापन को रेखांकित किया है। अब इसे ‘आउटफिटिंग’ और अधिरचना के निर्माण के लिए फिर से गोदी पर ले जाया जाएगा।
एंटनी ने कहा कि अगर कोचिन शिपयार्डस लिमिटेड समयतालिका का पालन करता है तो रक्षा मंत्रालय उसे और समर्थन प्रदान करेगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 12, 2013, 09:23