Last Updated: Sunday, May 6, 2012, 18:42
नई दिल्ली : भाजपा ने आज राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी निकाय (एनसीटीसी) को ‘संवैधानिक रूप से कमजोर’ करार दिया और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सवाल किया कि वोट बैंक की राजनीति के लिए पोटा (आतंकवाद निरोधी कानून) के जरिए आतंक के खिलाफ लड़ाई से ‘समझौता’ क्यों किया गया।
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘जब आप संवैधानिक रूप से कमजोर निकाय के जरिए आतंकवाद से लड़ने की बात करते हैं, तो भाजपा आपसे कुछ सवाल करती है।’ उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि पोटा को वापस क्यों ले लिया गया और महाराष्ट्र में मकोका को मंजूरी क्यों मिली, जबकि गुजरात में ऐसे ही कानून को मंजूरी नहीं दी गई।
प्रसाद ने कहा, ‘पोटा को वापस क्यों लिया गया। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों को इसकी जरूरत थी। सुप्रीम कोर्ट ने पोटा को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया है। इसके बावजूद आपने इसे वापस लेने की बात कही। वोट-बैंक की राजनीति के लिए आतंक के खिलाफ लड़ाई से समझौता किया गया।’ प्रसाद ने कहा कि एनसीटीसी का गठन एक शासकीय आदेश के जरिए हुआ है और इस पर खुफिया ब्यूरो का पूरा नियंत्रण है। इसमें पूरी गोपनीयता है और संसद के प्रति जवाबदेही नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह मुद्दा बहुत गंभीर है।’ भाजपा प्रवक्ता ने एनसीटीसी को देश के संघीय ढ़ांचे पर हमला बताया और कहा, ‘भाजपा का इस बात में पूरा विश्वास है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और संसदीय लोकतंत्र की संघीय नीति के प्रति सम्मान के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है। दोनों आराम से एक साथ रह सकते हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ राज्य सरकारों के साथ सहयोग और उनकी सक्रिय भागीदारी से, न कि केंद्र सरकार की ओर से उनके अधिकारों को कुचल कर लड़ी जा सकती है।’ उन्होंने कहा कि अगर एनसीटीसी को अस्तित्व में लाने के लिए संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन किया जाएगा, तो भाजपा इस मुद्दे को संसद में उठाएगी।
(एजेंसी)
First Published: Monday, May 7, 2012, 00:13