उत्तराखंड: आपादा में अब तक 150 लोगों की जानें गईं

उत्तराखंड: आपादा में अब तक 150 लोगों की जानें गईं

देहरादून : उत्तराखंड में मूसलधार बारिश और बाढ़ की भयावह आपदा ने 150 लोगों की जान ले ली है और हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इस बीच आसमान साफ होने पर राहत और बचाव कार्यों को तेज किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद राज्य को 1000 करोड़ रुपये की सहायता देने की घोषणा की जहां बड़े स्तर पर तबाही हुई है। आज आसमान साफ होने से राहत और बचाव कार्य में तेजी आई लेकिन भूस्खलन और बाढ़ के चलते सड़कों को हुए भारी नुकसान से राहत कार्य में बाधा आ रही है। इस भीषण आपदा का प्रकोप सैकड़ों घरों, इमारतों, होटल और सरकारी अतिथिगृहों को झेलना पड़ा है।

खबरों के अनुसार केदारनाथ मंदिर के आसपास भारी तबाही का मंजर देखा गया लेकिन मंदिर सुरक्षित है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बाढ़ की आपदा को अभूतपूर्व और ‘हिमालयी सुनामी’ की संज्ञा दी और कहा कि बहुत बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की आशंका है और मैं बिना उचित सर्वेक्षण के सही-सही संख्या नहीं बता सकता। प्रधानमंत्री सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और वहां के हालात को बहुत तकलीफदेह बताया। प्रधानमंत्री ने आपदा राहत के लिए राज्य को 1,000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की जिसमें से 145 करोड़ रुपये तत्काल जारी किए जा रहे हैं।

उन्होंने लौटने पर संवाददाताओं से कहा कि मैंने सभी केंद्रीय एजेंसियों को भी निर्देश दिया है कि राज्य को अपने अपने अधिकार क्षेत्र में यथासंभव मदद प्रदान करें। उधर, मुख्‍यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि रुद्रप्रयाग सबसे बुरी तरह प्रभावित जिला है और अचानक आई बाढ़ में उत्तराखंड में 500 सड़कें और पुल बह गए हैं। केदारनाथ में दो हेलिपैडों में से एक बाढ़ के पानी में बह गया है। इसके कारण हेलिकॉप्टरों को एक हेलिपैड से ही लोगों को बचाने के लिए उड़ान भरनी पड़ रही है।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि तबाही का आकलन नहीं किया जा सका है क्योंकि इस तरह की बाढ़ विगत 100 वर्षों में पहली बार आई है। गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच सड़कें बह गई हैं। बहुगुणा ने कहा कि अनेक सड़कों की हालत खराब है जिसके कारण सेना के जवान और अर्धसैनिक बल फंसे हुए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में गुस्सा है लेकिन हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ स्थान हैं जहां सेना और अर्धसैनिक बल के जवान फंस हुए लोगों तक पहुंचे हैं और भोजन पैकेट प्रदान किए हैं लेकिन अनेक स्थान ऐसे हैं जहां हेलिकॉप्टर से भी पहुंचना असंभव है। इसलिए हम उन इलाकों के ग्रामीणों से अपील करते हैं कि वे फंसे हुए तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भोजन और पानी प्रदान करें। राहत कार्य में कॉरपोरेट घरानों से शामिल होने की अपील करते हुए बहुगुणा ने कहा कि उन्हें आगे आना चाहिए और राहत अभियानों में शामिल होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात की आशंका है कि मारे गए लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है। उन्होंने कहा कि अभी तक 10,000 से अधिक लोगों को बचा लिया गया है और उन्हें खाना, कपड़े तथा आसरा मुहैया कराया जा रहा है। कई लोग अब भी फंसे हुए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ और इसके आसपास हुआ है। बहुगुणा ने कहा कि केदारनाथ तक सड़क मार्ग को सामान्य करने में एक साल लग जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को और खासकर देश के अनेक भागों से आए तीर्थयात्रियों को बचाने की, उन्हें दवाइयां पहुंचाने की और प्रभावितों को मुआवजा देने की होगी।

उत्तराखंड के प्रधान सचिव (गृह) ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य में इस आपदा में मृतकों की संख्या 150 तक पहुंच गई है लेकिन हताहतों की बिल्कुल सही संख्या बता पाना अभी संभव नहीं है क्योंकि चमोली और रद्रप्रयाग जिलों के अनेक गांवों में कई क्षेत्र पानी में डूबे हुए हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, June 19, 2013, 23:10

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