Last Updated: Wednesday, October 2, 2013, 00:07

गांधीनगर : नरेंद्र मोदी एवं राज्यपाल के बीच चल रही रस्साकशी को जारी रखते हुए राज्य विधानसभा ने दूसरी बार मंगलवार को गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक 2013 को पारित कर दिया, जिसमें राजभवन द्वारा सुझाए गए कोई भी बड़े बदलाव नहीं किये गये हैं। इससे नये टकराव की जमीन तैयार हो गई है।
राज्यपाल कमला बेनीवाल ने दो अप्रैल को पारित किये गये विधेयक को पुनर्विचार के लिए तीन सितंबर को सरकार के पास भेज दिया था। राज्यपाल ने प्रस्तावित कानून को ‘न्यायपालिका का पूर्ण मजाक और जन कल्याण के हितों के लिए घातक’ बताया था। विवादास्पद नये विधेयक में भ्रष्टाचार निरोधक नियामक लोकायुक्त की नियुक्ति में मुख्यमंत्री एवं सरकार की प्रमुखता को स्थापित किया गया है।
वित्त मंत्री नितिन पटेल द्वारा पेश किये गये इस विधेयक को सदन में मौजूद एकमात्र विपक्षी विधायक, गुजरात परिवर्तन पार्टी के केशुभाई पटेल के विरोध के बीच पारित कर दिया गया। केशुभाई इस विधेयक को स्थायी समिति में भेजने की मांग कर रहे थे। मुख्य विपक्षी कांग्रेस एवं राकांपा के विधायकों को कल अव्यवस्था पैदा करने के कारण दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था।
मौजूदा गुजरात लोकायुक्त कानून 1986 के अनुसार लोकायुक्त के चयन का अधिकार राज्यपाल एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दिया गया है। नये विधेयक में प्रावधान किया गया है कि लोकायुक्त की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति करेगी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 2, 2013, 00:07