गैस त्रासदी की 28वीं बरसी पर पीड़ितों को श्रद्धांजलि, bhopal gas tragedy

गैस त्रासदी की 28वीं बरसी पर पीड़ितों को श्रद्धांजलि

गैस त्रासदी की 28वीं बरसी पर पीड़ितों को श्रद्धांजलिभोपाल : यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को रिसी जहरीली ‘मिथाइल आइसो सायनेट’ (मिक) गैस से हुई विश्व की सबसे भीषणतम औद्यौगिक त्रासदी की 28वीं बरसी पर सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। वहीं, पीड़ितों ने मुआवजे, पर्यावरण शुद्धिकरण एवं चिकित्सा को लेकर अब तक हुए कार्यों को अपर्याप्त बताते हुए प्रदर्शन किए। गैस त्रासदी की 28वीं बरसी पर मुख्य कार्यक्रम राज्य सरकार ने मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बरकतउल्लाह भवन में आयोजित किया, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दुर्घटना को 28 साल बीत गए, लेकिन फिर भी गैस पीड़ितों के जख्म भरे नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि हम सबको आज के दिन यह संकल्प लेना चाहिए कि फिर किसी शहर को ‘भोपाल’ नहीं बनने देंगे। हमें ऐसे कारखानों की जरूरत नहीं है, जो पर्यावरण को बिगाड़ते हैं। इस दुर्घटना में भोपाल शहर के पन्द्रह हजार से अधिक लोग मारे गए थे और हजारों परिवार प्रभावित हुए थे। श्रद्धांजलि सभा में सनातन, इस्लाम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध एवं बोहरा धर्म गुरूओं ने शांति पाठ किया तथा वहां मौजूद लोगों ने त्रासदी में दिवंगतों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान के अलावा गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर, महापौर कृष्णा गौर, नागरिक आपूर्ति निगम अध्यक्ष रमेश शर्मा, विधायक ध्रुवनारायण सिंह, कांग्रेस नेता पीसी शर्मा एवं अशोक जैन ‘भाभा’, पूर्व महापौर सुनील सूद तथा राज्य शासन के मुख्य सचिव आर परशुराम सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने ऐतिहासिक ‘यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क’ में जंगी प्रदर्शन किया, जहां से गैस पीड़ितों ने मुआवजा एवं त्रासदी से संबंधित अदालती मुकदमों में तेजी लाने आदि मांगों को लेकर मुख्यमंत्री निवास के घेराव के लिए कूच किया। पीड़ितों को संबोधित करते हुए संगठन संयोजक अब्दुल जब्बार ने केन्द्र एवं राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि इतने सालों बाद भी दोनों ने गैस पीड़ितों की कोई चिंता नहीं की है।

उन्होंने कहा कि 28 साल बीत गए, लेकिन गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को अब तक सजा नहीं दी जा सकी है और गैस पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा भी नहीं दिया गया है, जो मुआवजा दिया गया है, उसमें भी कई गड़बड़ियां एवं अनियमितताएं हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ितों की मदद के बजाए दोनों :केंद्र एवं राज्य: सरकारें बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बचाने में लगी हैं। यही कारण है कि तत्कालीन यूनियन कारबाइड कारपोरेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वारेन एण्डरसन को अब तक भारत नहीं लाया जा सका है और उन पर मुकदमा नहीं चल सका है।

उधर, बंद पड़ी कारबाइड फैक्ट्री के सामने गैस पीड़ितों के बीच काम करने वाले विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने प्रदर्शन किए, पुतले जलाए और रैलियां आयोजित कीं तथा केंन्द्र एवं राज्य सरकारों से पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन संयोजक ने प्रदर्शन स्थल पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘सात साल पहले जब शिवराज सिंह चौहान इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, तो गैस पीड़ितों की उनसे कई अपेक्षाएं थीं और उन्हें लगा था कि चौहान एक अलग तरह के राजनीतिज्ञ हैं, लेकिन उन्होंने भी दूसरे राजनेताओं की तरह पीड़ितों की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने गैस पीड़ितों से केवल वायदे किए और उनके हित में आज तक कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि जहां तक गैस पीड़ितों के हितों का प्रश्न है, तो कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है। पिछले 28 सालों से पीड़ितों का संघर्ष जारी है और यह तब तक चलेगा, जब तक कि उन्हें वास्तविक न्याय नहीं मिल जाता।

जब्बार ने कहा कि गैस पीड़ितों को उनके अधिकारों के प्रति संघर्ष से कोई रोक नहीं सकता है और यह उनकी अंतिम सांस तक जारी रहेगा।

संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच करते हुए कमला पार्क के निकट पुलिस बल ने रोक लिया, जहां आगे बढ़ने की जद्दोजहद में पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। इस दौरान कई कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारियां दीं।

जब्बार एवं संगठन का एक प्रतिनिधिमण्डल कुछ देर बाद मुख्यमंत्री चौहान से मिलेगा और अपनी मांगों के संदर्भ में उन्हें एक ज्ञापन सौंपेगा। (एजेंसी)

First Published: Monday, December 3, 2012, 18:03

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