जर्मन बेकरी विस्फोट मामला: हिमायत बेग को मौत की सजा

जर्मन बेकरी विस्फोट मामला: हिमायत बेग को मौत की सजा

जर्मन बेकरी विस्फोट मामला: हिमायत बेग को मौत की सजापुणे : वर्ष 2010 में जर्मन बेकरी में हुए विस्फोट मामले में एकमात्र दोषी करार दिए गए अभियुक्त मिर्जा हिमायत बेग को पुणे की एक सत्र अदालत ने गुरुवार को मौत की सजा सुनाई। इस विस्फोट मामले में 17 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 64 अन्य लोग घायल हुए थे। अदालत ने बेग को हत्या एवं आपराधिक षडयंत्र के आरोप में मौत की सजा सुनायी और उसके अपराध को ‘दुर्लभतम’ करार दिया।

सजा की अवधि के संबंध में बचाव एवं अभियोजन पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एनपी धोते ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि यह मामला ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में आता है और इसमें सख्त सजा होनी चाहिए। इसके पहले अदालत ने 15 अप्रैल को बेग को अपराध में शामिल होने का दोषी ठहराया था। 13 फरवरी 2010 को लोकप्रिय जर्मन बेकरी में हुए विस्फोट मामले में बेग गिरफ्तार किया गया एकमात्र आरोपी है। इस मामले में छह अन्य आरोपी फरार हैं। इनमें यासिन भटकल भी शामिल है जिस पर बम लगाने का आरोप है।

बेग को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 120 बी के अलावा गैरकानूनी गतिविधि निवारण कानून तथा विस्फोटक सामग्री कानून के प्रावधानों के तहत मौत की सजा सुनाई गई। उसे भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां निवारण कानून तथा विस्फोटक सामग्री कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई। तीन दिन पहले जब अदालत ने बेग को सजा सुनाई थी, उस समय वह शांत दिख रहा था। लेकिन आज न्यायाधीश द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद वह कुछ क्षणों के लिए बेहोश हो गया। उसे पीने के लिए पानी दिया गया और पुलिसकर्मी कडी सुरक्षा में उसे अदालत से बाहर ले गए। वहीं कुछ सामाजिक संगठनों ने फैसले का स्वागत करते हुए अदालत परिसर के बाहर पटाखे चलाए।

न्यायाधीश द्वारा यह पूछे जाने पर कि फैसले के बारे में उसे कुछ कहना है, बेग रोने लगा और कहा कि वह निर्दोष है। उसने आरोप लगाया कि राकेश मारिया के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते ने उसे मामले में फंसाया है। उसने न्यायाधीश से कहा कि मैं निर्दोष हूं और जर्मन बेकरी विस्फोट मामले से मेरा कुछ लेनादेना नहीं है। पुलिस असली अपराधी को पकड़ने में नाकाम रही और मुझे बलि का बकरा बनाया गया। विस्फोट में 17 लोग मारे गए औा मुझे 18वां पीडित बनाया गया है। इसके पहले लोक अभियोजक राजा ठाकरे ने मौत की सजा दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि अदालत ने उसे उसके खिलाफ लगाए गए 17 आरोपों में से 14 में दोषी ठहराया गया है। उन्होंने बेग के प्रति नरमी नहीं बरतने की दलील देते हुए कहा कि बेग के पास आरडीएक्स जैसे विस्फोटक थे और वह बेकरी में बम रखने वाले के संपर्क में था।

बचाव पक्ष द्वारा बेग के कम उम्र के होने (33) के आधार पर कमतर सजा दिए जाने की दलील का जिक्र करते हुए ठाकरे ने कहा कि कसाब और याकूब मेनन जैसे आतंकवादियों को भी उनकी आयु के बावजूद मौत की सजा सुनाई गई थी। बचाव पक्ष के वकील ए. रहमान ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता और आरोपी के इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा के साथ कथित संपर्क होने की बात साबित नहीं हो सकी है। उन्होंने बेग के प्रति नरमी बरते जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि असली अपराधी यासिन भटकल जिसने बम लगाया, फरार है। बेग कभी भी बम लगाने के लिए जर्मन बेकरी नहीं गया। उन्होंने उम्रकैद की सजा दिए जाने पर बल दिया। बाद में रहमान ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। बेग को जब अदालत में लाया गया, उस समय सुरक्षा का भारी बंदोबस्त किया गया था।

अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 465, 467 और 468 के तहत लगाए गए आरोपों को छोड़कर अभियोजन के अन्य सभी आरोपों को बरकरार रखा। महाराष्ट्र के बीड जिले के निवासी 33 वर्षीय बेग के अलावा मामले में यासिन भटकल, मोहसिन चौधरी, रियाज भटकल, इकबाल भटकल, फैयाज कागजी और जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबु जंदल भी आरोपी हैं। जंदल के अलावा अन्य सभी पांच आरोपी फरार हैं। लश्कर-ए-तोएबा के सदस्य डेविड हेडली ने अपने सहयोगी तहव्वुर राणा के खिलाफ शिकागो की एक अदालत में सुनवाई के दौरान अपनी गवाही में स्वीकार किया था कि उसने जर्मन बेकरी की तस्वीरें ली थीं। इसके साथ ही उसने जर्मन बेकरी की टोह भी ली थी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, April 18, 2013, 17:07

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