Last Updated: Wednesday, July 3, 2013, 13:11

रांची : नक्सल प्रभावित राज्य झारखंड में मंगलवार को हुए एक और नक्सली हमले में पाकुड़ जिले के पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार सहित छह लोगों की मौत हो गई। घटना के बाद राज्य के अधिकारी और पुलिस वर्ग इस घटना की निंदा कर रहे हैं तथा नक्सलियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की वकालत की जा रही है।
झारखंड में नक्सली हमले में किसी बड़े पुलिस अधिकारी या नेता के शहीद होने की यह पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी नक्सली हमलों में कई नेता और पुलिस अधिकारी नक्सली संगठनों का निशाना बनते रहे हैं।
एकीकृत बिहार के लोहरदगा जिले के पेशरार जंगल में चार अक्टूबर, 2000 को नक्सलियों ने अपनी गोली का शिकार तेजतर्रार भरतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अजय कुमार को बनाया। उस समय नक्सलियों ने लातेहार और लोहरदगा जिले की सीमा पर बसे पेशरार जंगल में बारूदी सुरंग विस्फोट कर कुमार के वाहन को क्षतिग्रस्त किया और फिर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें एक गोली कुमार के सिर पर जा लगी, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। इस घटना को झारखंड में नक्सलियों के पैठ बनाने की बड़ी घटना के रूप में देखा जाता है।
इस घटना के बाद से ही उस क्षेत्र में एक तरह से नक्सलियों का साम्राज्य स्थापित हो गया। इसके बाद बिहार से झारखंड के अलग हुए अभी एक वर्ष ही गुजरा था कि वर्ष 2001 में नक्सलियों ने गढ़वा के पुलिस उपाधीक्षक अखिलेश कुमार को निशाना बनाया। इस घटना के एक वर्ष के बाद 2002 में पड़ोसी जिला पलामू के छतरपुर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार सहित एक पुलिस निरीक्षक को मौत के घाट उतार दिया।
नक्सली यहीं नहीं रुके। आठ अक्टूबर, 2008 को चतरा जिले के प्रतापपुर में उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से हमला कर जांबाज पुलिस उपाधीक्षक विनय भारती, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सहायक कमांडेंट जेड़ ई़ अमर सहित कुल 13 जवानों को मौत के घाट उतारा। इसके अलावा भी कई बार नक्सली पुलिस अधिकारियों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन पुलिस अधिकारी सुरक्षित निकलने में सफल रहे हैं। लातेहार के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक कुलदीप द्विवेदी 16 जुलाई, 2010 को उस समय बाल-बाल बच गए थे जब बरवाडीह-कुटमु मार्ग पर नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर दिया। इस हमले में द्विवेदी तो बच गए परंतु पुलिस के पांच जवान शहीद हो गए।
ऐसा नहीं है कि झारखंड में नक्सलियों के निशाने पर केवल पुलिसकर्मी ही रहे हैं। नक्सलियों ने अब तक झारखंड में तीन बड़े नेताओं को भी अपना निशाना बनाया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के तेजतर्रार नेता और विधायक महेन्द्र सिंह को नक्सलियों ने 16 जनवरी, 2005 को अपनी गोली का निशाना बनाया जबकि इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सांसद सुनील महतो भी नक्सलियों के बर्बरतापूर्ण कारनामे के शिकार हुए। नक्सलियों ने जनता दल (युनाइटेड) के विधायक रमेश सिंह मुंडा की दिनदहाड़े एक कार्यक्रम में धावा बोलकर जुलाई 2008 में हत्या की थी। झारखंड के कई नेता आज भी नक्सलियों की हिट लिस्ट में बताए जाते हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 3, 2013, 13:11