Last Updated: Tuesday, May 14, 2013, 12:21

अहमदाबाद : दक्षिण पंथी ताकतों की ओर से की जा रही आलोचनाओं के बीच, गुजरात सरकार ने वर्ष 2002 के नरोदा पटिया दंगा मामले में पूर्व मंत्री माया कोदनानी, बाबू बजरंगी और आठ अन्य के लिए मौत की सजा की मांग करने के अपने फैसले को मंगलवार को रोक लिया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने कोदनानी, बजरंगी और अन्य के लिए मौत की सजा की सिफारिश की थी। पहले मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसी सिफारिश पर आगे बढ़ने का फैसला किया था। लेकिन दक्षिण पंथी ताकतों की ओर से कड़ी आलोचना किए जाने के बाद मोदी सरकार ने इस पर पुनर्विचार किया।
निचली अदालत ने कोदनानी, बजरंगी और अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पूर्व में मोदी सरकार ने तीनों के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक अपील दाखिल करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी थी।
गुजरात के वित्त मंत्री और प्रवक्ता नितिन पटेल ने बताया ‘निर्णय फिलहाल रोका गया है क्योंकि हमें राज्य के महाधिवक्ता से राय लेनी है।’ पटेल ने कहा ‘जब महाधिवक्ता अपनी राय दे देंगे तब अंतिम निर्णय किया जाएगा।’
कभी मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं माया कोदनानी को विशेष अदालत ने अगस्त 2012 को 28 साल कैद की सजा सुनाई थी। यह सजा उन्हें गोधरा ट्रेन नरसंहार के बाद नरोदा पटिया में हुए दंगा मामले में सुनाई गई थी। दंगों में 96 लोग मारे गए थे।
इसी मामले में बजरंग दल के कार्यकर्ता बाबू बजरंगी को उम्र कैद की तथा आठ अन्य दोषियों को 31-31 साल की सजा सुनाई गई थी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 14, 2013, 09:16