`बचाव अभियानों में अलग रणनीति बनाई गई`

`बचाव अभियानों में अलग रणनीति बनाई गई`

गौचर : अब तक के अपने सबसे बड़े बचाव और राहत कार्य को अंजाम देने वाली भारतीय वायुसेना को उत्तराखंड में भयानक आपदा में फंसे लोगों को निकालने के लिए कई बार स्थानीय हालात, दुर्गम पहाड़ी रास्तों और हौंसलों को पस्त करने के लिए काफी मौसम की मार को ध्यान में रखकर लीक से हटकर रणनीति बनानी पड़ी।

प्रदेश में राहत और बचाव कार्य के दौरान भारतीय वायुसेना के जवानों के समक्ष पेश आ रही चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर एयर वाइस मार्शल एसआरके नायर ने बताया कि हमें कई बार लीक से हटकर रणनीति बनानी पड़ी। मौसम की परिस्थितियां तथा पहाड़ी रास्ते अभियानों के लिए मुख्य चुनौती हैं।

वायुसेना के हेलिकाप्टर और परिवहन शाखा के प्रमुख नायर कल गौरीकुंड के समीप गढ़वाल श्रंखला में एमआई-17 वी5 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यहां वायुसेना अड्डे पर पहुंचे थे। नायर ने बताया कि ऐसे कड़े हालात में अभियान संचालित करके इस अभियान से सीखने के लिए बहुत सी बातें हैं। जब हम इस अभियान का ब्यौरा देंगे तो हम इन सबक के बारे में बात करेंगे।

वायुसेना के शीर्ष कमांडर ने कहा कि अभियान को संपन्न करने के लिए करीब ‘और चार दिन’ उड़ानें भरनी पड़ेंगी। वायुसेना के पायलटों ने इस अभियान में 1700 उड़ानें संचालित की। उन्होंने बताया कि अब वे बद्रीनाथ और हर्षिल पर ध्यान दे रहे हैं और अधिक से अधिक उड़ानें संचालित कर रहे हैं। नायर ने यहां हैलीपैड पर वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एनएके ब्राउन को भी यहां से संचालित अभियान के बारे में जानकारी दी। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, June 26, 2013, 20:16

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