बड़ा अनोखा है सिक्किम का यह बगीचा

बड़ा अनोखा है सिक्किम का यह बगीचा

गंगटोक: वनस्पति जगत में खास स्थान रखने वाली काई वैसे तो नमी वाली जगह पर उगती है लेकिन अब सिक्किम के रूमटेक स्थित जवाहरलाल नेहरू वनस्पति उद्यान में इस काई का बगीचा तैयार हो चुका है।

ब्रिटिश नागरिक रॉबर्ट पॉम्पे ने 15 महीनों की मेहनत के बाद यह बगीचा तैयार किया है। पॉम्पे जनवरी 2011 में सिक्किम आए और यहां के वन, पर्यावरण एवं वन्यजीव प्रबंधन को उन्होंने अपने स्वैच्छिक सेवाएं दीं। करीब 40 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पत्थरों पर बनाए गए इस बगीचे में मानव निर्मित कोई भी सामग्री नहीं है और रास्ते बनाने के लिए पत्थरों का उपयोग किया गया है।

हरे भरे इस बगीचे में लगे ब्रायोप्साइडा और लाइकोपोडियोप्साइडा एसपीपी जैसी मॉस की प्रजातियों का संग्रह या खुद बगीचे से ही और आसपास से किया गया है।

बगीचे तैयार करने के लिए काई का उपयोग जापानी परंपरा है और 12 वीं से 19 वीं सदी के सामंती दौर से चली आ रही है। हजारों साल पहले बौद्ध भिक्षुओं ने अपने मंदिर के बगीचों में मौजूद काई के बारे में लिखा।

आधुनिक दौर में जापान में निजी घरों, रेस्तरां आदि में काई का सजावट के लिए उपयोग किया जाता है। दुकानदार भी अक्सर छोटे छोटे, काई के बगीचे तैयार करते हैं। ये बगीचे उस जगह पर तैयार किए जाते हैं जिसे इमारत के अंदर से देखा जा सकता है। जापानी संस्कृति में हरे बगीचे, दीर्घकालिक जीवन का प्रतीक और ऐसे स्थान माने जाते हैं जहां आराम किया जा सकता है।

अमेरिकी या यूरोपीय परंपरा के बगीचों में जहां कई रंग और विविधता होती है वहीं काई के बगीचे में सिर्फ हरियाली के ही विभिन्न शेड्स नजर आते हैं। खूबसूरती के लिए यहां पत्थर, बांस का फव्वारा या छोटे फूलों वाली झाड़ी भी है। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 18, 2012, 12:00

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