Last Updated: Monday, January 16, 2012, 10:50
लखनऊ : वर्ष 2007 में हुए विधानसभा के पिछले चुनाव में ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का मंत्र अपनाकर सत्ता शीर्ष पर पहुंची मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इस बार भी इसी फार्मूले पर चलने के साथ-साथ दागी किस्म के अपने करीब 100 मौजूदा विधायकों से किनारा करके छवि सुधार की कवायद में गंभीरता से लगी हुई है।
बसपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि जनता के बीच स्वच्छ छवि के साथ जाने के मकसद से पार्टी ने दागी या खराब छवि वाले करीब 100 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिए हैं। ऐसे विधायकों को इस बात के संकेत करीब दो महीने पहले ही दे दिए गए थे जब मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार में संलिप्तता और जनसमस्याओं पर ध्यान नहीं देने के आरोप में अपने अनेक मंत्रियों को बर्खास्त करना शुरू किया था।
बसपा ने इस बार राम अचल राजभर, राकेशधर त्रिपाठी, सुभाष चंद्र पाण्डेय, बादशाह सिंह, अवधपाल सिंह यादव, फतेह बहादुर सिंह, सदल प्रसाद, अशोक दोहरे, आनंद सेन यादव, अनंत मिश्र, रतनलाल अहिरवार, अनीस अंसारी, शहजिल इस्लाम, चंद्रदेव राम यादव, राजपाल त्यागी, नारायण सिंह, अवधेश कुमार वर्मा, हरिओम उपाध्याय और अकबर हुसैन जैसे प्रदेश के अनेक पूर्व मंत्रियों के टिकट काट दिए हैं। बसपा पदाधिकारी ने बताया कि पिछली बार के हिट सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला को पार्टी एक बार फिर मजबूती से थामकर चल रही है।
उन्होंने बताया कि सर्वजन हिताय के फार्मूला के तहत बसपा ने आगामी विधानसभा चुनाव में जातीय संतुलन बरकरार रखते हुए अनुसूचित जाति के 88, अन्य पिछड़ा वर्ग के 113, मुसलमान वर्ग के 85 सवर्ण जाति 117 लोगों को टिकट दिया है, जिनमें से ब्राहमणों को 74 तथा क्षत्रियों को दिए गए 33 टिकट शामिल हैं। इसके अलावा दल ने वैश्य, कायस्थ तथा पंजाबियों को भी टिकट दिए हैं।
पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी ने इस बार प्रत्याशियों के चयन में इस बात का काफी हद तक ध्यान रखा है कि वे साफ सुथरी छवि वाले तथा बसपा आंदोलन के प्रति समर्पित हों। साथ ही वे क्षेत्र के विकास पर ध्यान देते हों। मुख्यमंत्री मायावती ने भी कल प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी करते हुए कहा था कि पिछले चुनाव में उनकी पार्टी के भोले-भाले लोगों को झांसे में रखकर कई लोग दल से टिकट लेने में कामयाब हो गए थे और उन्होंने चुनाव जीतने के बाद गलत कार्यो में लिप्त होकर पार्टी और सरकार की छवि धूमिल की।
बसपा ने वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति बदलते हुए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 97, अन्य पिछड़ा वर्ग के 126, मुस्लिम समाज के 86, ब्राहमण समाज के 37 तथा क्षत्रिय समाज के 36 प्रत्याशियों को टिकट दिए थे।
(एजेंसी)
First Published: Monday, January 16, 2012, 16:20