Last Updated: Sunday, October 14, 2012, 16:13
तिरुवनंतपुरम : नर्सों की तारीफ धरती पर फरिश्ते के रूप में की जाती है, लेकिन भारत में उनकी पेशेवर जिन्दगी अपेक्षाकृत दयनीय है, खासकर निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में। उन्हें कम वेतन मिलता है और खराब स्थिति में काम करना पड़ता है। यह बात नयी दिल्ली में काम कर रही केरल की नर्सों के बारे में कराए गए एक अध्ययन में सामने आई है।
अध्ययन के मुताबिक बेहतर पगार और बेहतर कार्य स्थिति की मांग को लेकर हाल में देश के विभिन्न निजी अस्पतालों में हुई नर्सों की हड़ताल एवं आंदोलनों से उनकी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। अध्ययन करने वाले नयी दिल्ली स्थित ‘सेंटर फॉर वुमेन डेवलपमेंट स्टडीज’ की जूनियर फेलो श्रीलेखा नायर ने कहा कि नर्सों के सामने मौखिक एवं शारीरिक उत्पीड़न एक बड़ी समस्या बना हुआ है। उन्हें न सिर्फ डॉक्टरों और प्रबंधन, बल्कि सहकर्मियों के र्दुव्यवहार का भी सामना करना पड़ता है।
इंडियन नर्सिंग काउंसिल के सदस्य पीके थंपी ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन नर्सों का शोषण करता है। नर्सों और प्रबंधन के बीच लगभग गुलाम एवं मालिक जैसे रिश्ते होते हैं। निजी क्षेत्र में नर्सों को मिलने वाले कम वेतन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनमें से अधिकतर ने चार से छह लाख रुपये का शैक्षिक ऋण लेकर अपनी पढ़ाई की होती है। उनके द्वारा चुकाई जाने वाली न्यूनतम किश्त करीब छह हजार से 10 हजार रुपये होगी, जबकि उन्हें तनख्वाह के रूप में 2500 से लेकर 6500 रुपये तक ही मिल पाते हैं।
थंपी ने कहा, क्षेत्र में खराब स्थिति होने के बावजूद उनमें से अधिकतर नौकरी से चिपकी रहती हैं क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं होता। ‘मूविंग विद द टाइम्स-जेंडर, स्टेटस एंड माइग्रेशन ऑफ नर्सेज इन इंडिया’ प्रकाशित करने वाली श्रीलेखा ने कहा, नर्सों को केवल उनके वरिष्ठ ही नहीं, बल्कि मरीजों के संबंधी भी मौखिक रूप से प्रताड़ित करते हैं, जैसा कि अखबारों में छपता है, कुछ मामलों में उनका शारीरिक शोषण भी किया जाता है। अध्ययन में कहा गया है कि मरीजों की जान बचाने के मामले में नर्सों के योगदान की बहुत सी कहानियां हैं, लेकिन उनके योगदान पर ध्यान नहीं दिया जाता। यह सच है कि महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी कार्यों में भाग लेने वाले डॉक्टरों का हर जगह नाम होता है, लेकिन नर्सों के नाम का रिकॉर्ड में कभी कोई उल्लेख नहीं होता, उदाहरण के लिए हृदय के प्रथम ऑपरेशन जैसे कार्य।
इसके अनुसार नर्सों के शोषण का एक और तरीका यह है कि अस्पताल प्रबंधन नर्सों के प्रमाण पत्रों को जब्त कर लेते हैं जिससे वे भारत या विदेश में अच्छे अवसर हासिल नहीं कर पातीं। अध्ययन के अनुसार निजी अस्पतालों में नर्सों के साथ अन्य तरह की धोखाधड़ी भी की जाती है। उनका वेतन कागजों में कुछ और दर्शाया जाता है, जबकि हकीकत में उन्हें इससे कम पैसे दिए जाते हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 14, 2012, 16:13