Last Updated: Tuesday, November 15, 2011, 12:21

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य को चार भागों में बांटने के लिए विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाने का फैसला करके मास्टर स्ट्रोक मारा है, तो विपक्षी दलों ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए इसे बसपा सरकार के भ्रष्टाचार एवं कुशासन से जनता का ध्यान हटाने के लिए चुनावी स्टंट करार दिया है।
कांग्रेस, भाजपा और सपा सहित सभी प्रतिपक्षी दलों के रुख में राज्य के विभाजन को लेकर भले ही अन्तर हो, लेकिन सभी ने ही इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मायावती की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि वे इस पर सचमुच गंभीर होती तो दो चार साल पहले ही विधानसभा में इस आशय का प्रस्ताव ले आती।
विधानसभा में मुख्य प्रतिपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने राज्य के विभाजन को उत्तर प्रदेश की राजनीतिक ताकत समाप्त करने की साजिश करार देते हुए इसका हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय किया है, जबकि भाजपा तथा कांग्रेस राज्य के विभाजन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाये जाने की आवश्यकता बताते हुए मायावती सरकार के फैसले को चुनावी स्टंट करार दिया है।
हालांकि, दोनों ही दलों ने छोटे राज्यो के गठन का समर्थन किया है, लेकिन 21 नवम्बर से शुरु हो रही विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य के विभाजन के लिए आने वाले प्रस्ताव के समर्थन अथवा विरोध के बारे में अभी किसी निर्णय की घोषणा नहीं की है।
उत्तर प्रदेश में पार्टी की जनस्वाभिमान यात्राओं का नेतृत्व कर रहे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र पहले से ही अपनी जनसभाओं में ‘राज्य विभाजन’ को बसपा का ‘चुनावी स्टंट’ बताते हुए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाये जाने की मांग करते रहे है।
भाजपा ने बहरहाल विधानसभा में राज्य के पुनर्विभाजन का प्रस्ताव आने पर अपने रुख को स्पष्ट नहीं किया है और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि इस संबंध में कोई फैसला पार्टी विधानमंडल दल द्वारा लिया जायेगा।
उत्तर प्रदेश के विभाजन को लेकर हमेशा से विरोध में रही समाजवादी पार्टी विधायक दल के नेता शिवपाल सिंह यादव ने इस विभाजन को प्रदेश की राजनीतिक ताकत समाप्त कर देने की साजिश करार देते हुए कहा है, हम राज्य सरकार के इस फैसले का सदन से सड़क तक हर स्तर पर विरोध करेगे।
कांग्रेस विधानदल के नेता प्रमोद तिवारी ने बसपा सरकार के इस फैसले को चुनावी स्टंट बताते हुए कहा है कि राज्य के विभाजन के लिए पुनर्गठन आयोग बनना चाहिए।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 25 जिलों को अलग करके हरित प्रदेश के नाम से नये राज्य के गठन की मांग करती रही राष्ट्रीय लोकदल ने भी मायावती सरकार के फैसले के समय को देखते हुए इसे राजनीतिक पैतरेबाजी कहा है, लेकिन यह भी कहा है कि वह विधानसभा में इस प्रस्ताव का समर्थन करेगी।
वहीं, राजा बुंदेला के नेतृत्व में बुंदेलखंड राज्य गठन मोर्चा बुंदेलखंड राज्य के लिए और सपा से अलग होने के बाद अमर सिंह पूर्वाचल राज्य के गठन को लेकर उस अंचल में यात्रायें निकाल चुके है। इस मांग को लेकर कुछ अन्य छोटे संगठन समय समय पर संघर्ष करते रहे हैं।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 15, 2011, 18:49