Last Updated: Monday, March 11, 2013, 09:02
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार ने क्या अपनी गलत प्राथमिकताएं तय कर ली हैं? सत्ता में आने के एक साल पूरे होने के उपलक्ष में जश्न की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए उसकी प्रमुख योजना बेरोजगारी भत्ता पर आरटीआई से हासिल जानकारी विवाद पैदा करने वाली है।
इस योजना ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के बीच अच्छा असर पैदा किया और सपा 224 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। अब यह खुलासा हुआ है कि इस योजना के लाभार्थियों के बीच बांटी गई राशि से कहीं ज्यादा पैसा वितरण कार्यक्रमों पर खर्च हुआ है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की ओर से दाखिल आवेदन के जवाब में प्रशिक्षण एवं रोजगार निदेशालय ने विभिन्न जगहों पर हुए कार्यक्रमों पर 12.29 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही है। इसके विपरीत, नवंबर 2012 तक सरकार ने बेरोजगार युवाओं के बीच 8.54 करोड़ रुपये वितरित किया है। इसका मतलब यह हुआ कि बेरोजगारों को सरकारी उदारता का समारोहों, प्रचारों, नाश्ते के पैकेटों, यातायात और अन्य चीजों पर हुए खर्च के मुकाबले चार करोड़ रुपये कम लाभ हासिल हुआ है।
रोजगार निदेशालय का कहना है कि 15 मार्च से 14 नवंबर 2012 के बीच 8.54 करोड़ रुपये का वितरण किया गया, लेकिन 234,240 बेरोजगारों के बीच बांटे गए 192 करोड़ रुपये का आधिकारिक ब्योरा जारी होना अभी बाकी है। कार्यक्रमों पर हुए खर्च के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने निजी बातचीत में माना कि यह खुलासा निश्चित रूप से सत्तारूढ़ सरकार को शर्मसार करने वाला साबित हो सकता है।
ज्ञात हो कि सपा ने विधानसभा चुनावों के दौरान बेरोजगारों को 1000 रुपये प्रतिमाह भत्ता देने का वादा किया था। सत्ता मेंआने के तीन माह बाद ही अखिलेश सरकार ने योजना शुरू कर दी थी। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 11, 2013, 09:02