Last Updated: Sunday, December 16, 2012, 13:45

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देने वाले एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के अनुबंधों से संबंधित इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ राज्य सरकार की अपीलों को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने विभिन्न जिलों में नियुक्त वकीलों के अनुबंधों का नवीनीकरण नहीं किए जाने के राज्य सरकार के निर्णय को रद्द कर दिया था।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय ने हाईकोर्ट के फैसलों को कायम रखते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के फैसले के पीछे कोई आधार नहीं बताया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मनमाना फैसला करने से प्रशासनिक आदेश निरस्त हो जाएगा। फैसले में न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि राज्य का मनमाना कदम सिर्फ इस आधार पर न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर नहीं हो जाता कि यह मामला अनुबंध से जुड़ा हुआ है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के विभिन्न फैसलों के खिलाफ 18 अपीलें की थी। हाईकोर्ट ने उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें सरकारी वकीलों का अनुबंध खत्म होने पर उसका नवीनीकरण नहीं किए जाने का निर्णय लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के तीन अप्रैल 2008 के आदेश में कोई आधार नहीं दिया गया और सरकार ने फैसला करते समय दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 16, 2012, 13:45