Last Updated: Wednesday, December 14, 2011, 11:13
इलाहाबाद : मायावती के निकट सहयोगी और उत्तरप्रदेश के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के खिलाफ दायर आपराधिक जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। पीआईएल में दावा किया गया है कि आयकर विभाग की नौ वर्ष पुरानी रिपोर्ट में सिंह भूमि कब्जा करने और धन शोधन के आरोपी हैं।
प्रतापगढ़ जिले के निवासी विनोद कुमार वर्मा की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति अमर सरन और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने आदेश पारित किया। उन्होंने दावा किया कि उनके आरोप आयकर विभाग की 18 जून 2002 की रिपोर्ट पर आधारित है जो सिंह और उनके भाई मुदित के खिलाफ है।
जनहित याचिका में आग्रह किया गया है कि सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं। सिंह रक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हैं और राज्य के शीर्ष नौकरशाही पद पर उनकी नियुक्ति विवादों में रही है । अदालत से बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए भारत सरकार के वकील राजीव सिंह ने कहा कि सौ पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट में राज्य के कैबिनेट सचिव और उनके भाई को आरोपी बनाया गया है। उन पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूमि हड़पने और धन शोधन का आरोप है।
अदालत ने सिंह के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया और उनसे तीन हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा। वर्ष 2007 में मायावती के मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद सिंह को राज्य का कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया था।
शशांक शेखर को कैबिनेट सचिव बनाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित है। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा या प्रांतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी नहीं होने के बावजूद इस पर काबिज हुए, इसी के खिलाफ याचिका दायर की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस नियम के तहत मायावती के सहयोगी को इस पद पर नियुक्त किया गया। बहरहाल राज्य सरकार ने रक्षात्मक रुख अपनाते हुए सिंह की अधिकतर शक्तियों एवं जिम्मेदारियों को राज्य के मुख्य सचिव को सौंप दिया लेकिन उन्हें कैबिनेट सचिव के पद से नहीं हटाया गया।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, December 15, 2011, 00:08