‘बॉम्बे टॉकीज’ (रिव्यू) : भारतीय सिनेमा को एक हसीन तोहफा|‘Bombay Talkies’

‘बॉम्बे टॉकीज’: भारतीय सिनेमा को एक हसीन तोहफा

‘बॉम्बे टॉकीज’: भारतीय सिनेमा को एक हसीन तोहफाज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के मौके पर बॉलीवुड के चार निर्देशकों द्वारा बनाई गई फिल्म ‘बॉम्बे टॉकीज’ वाकई में लाजवाब है। चारों निर्देशकों ने 100 बरस के सिनेमाई इतिहास को एक हसीन तोहफा देने के लिए बॉलीवुड में एक नए पहल की शुरुआत की है जिसकी प्रशंसा होनी चाहिए।

करण जौहर, अनुराग कश्यप, दिबाकर बनर्जी और जोया अख्तर ने अपने इस प्रयास से हिंदी सिनेमा को उसकी शताब्दी के मौके पर एक खूबसूरत तोहफा दिया है। चार लघु कथाओं को जोड़कर बनाई गई इस फिल्म में सभी चार निर्देशकों ने अपनी पहचान कायम रखी है।

करण जौहर : फिल्म की शुरुआत करीब 20 साल के लड़के (साकिब सलीम) के साथ होती है। साकिब की अपनी पिता से बनती नहीं है। सामाजिक परंपराओं से मुक्त होने और अपनी आजीविका के लिए साकिब घर छोड़ देता है। साकिब रानी मुखर्जी के अधीन एक प्रशिक्षु के रूप में काम करने लगता है। रानी की शादी एक राजनीतिक विश्लेषक (रणदीप हूडा) से हुई होती है जिसके साथ उसके संबंध ठीक नहीं रहते।

फिल्म के इस भाग में करण जौहर ने अपनी कुशलता दिखाई है। जटिल संबंधों पर करण ने अपनी और फिल्मों से एक अलग छाप छोड़ी है। इस भाग में क्लासिक फिलमों के गीत ‘अजीब दास्तां है ये’ और ’लग जा गले’ का इस्तेमाल रूपक के रूप में हुआ है जो एक अलग ही प्रभाव पैदा करते हैं।

दिबाकर बनर्जी : अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने एक बार फिर साबित किया है कि वह अभिनय के लिए ही पैदा हुए हैं। फिल्म में एक नाकाम अभिनेता की भूमिका अदा कर रहे नवाजुद्दीन एक अदद नौकरी के लिए संघर्ष करते हैं। दिबाकर ने फिल्म के इस भाग में नवाजुद्दीन से शानदार अभिनय कराया है। नवाजुद्दीन फिल्म में अपने परिवार के चेहरे पर खुशी लाने के लिए भावनाओं के जिस भंवर से गुजरते हैं, वह लाजवाब है। फिल्म का यह भाग साबित करता है कि दिबाकर और नवाजुद्दीन एक साथ फिल्में करें तो हिंदी सिनेमा को यह बेहतरीन फिल्में दे सकते हैं।

जोया अख्तर : ‘बॉम्बे टॉकीज’ में जोया अपनी कथा में लोगों को अपने सपनों में विश्वास करना सिखाती हैं। रणबीर शौरी एक कठोर हृदय वाले पिता की भूमिका में हैं। उनका लड़का विकी (नमन जैन) एक डांसर बनना चाहता है। रणबीर नहीं चाहते कि विकी डांसर बने। विकी को डांसर बनने की प्रेरणा और साहस कैटरीना कैफ से मिलती है।

जोया ने काफी प्रशंसनीय काम किया है। एक आभासी दुनिया में रहने वाले युवक की भावनाओं को जोया ने बारीकी से उकेरा है।

अनुराग कश्यप : अपनी मां की हाथों से बने मुरब्बे को मेगास्टार अमिताभ बच्चन तक पहुंचाने में एक प्रशंसक को कितनी मुश्कलों का सामना करना पड़ता है। निर्देशक अनुराग कश्यप ने इसे बेहतरीन तरीके से फिल्माया है। अनुराग को यथार्थवादी सिनेमा प्रस्तुत करने में महारथ हासिल है और वह इस बार भी सफल हुए हैं।

फिल्म के चारों भागों की कहानी एक-दूसरे से अलग है। फिल्म अलग-अलग क्षेत्रों के जटिल जीवन को प्रस्तुत करती है लेकिन यह कहीं-कहीं भावनाओं को उभारने में कमजोर साबित होती है लेकिन लोगों के जीवन पर सिनेमा के प्रभाव को जाहिर करने में यह फिल्म कामयाब साबित होती है।


First Published: Saturday, May 4, 2013, 15:36

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