Last Updated: Tuesday, July 30, 2013, 18:40

नई दिल्ली : प्रकाश झा अखबार की सुखिर्यों से फिल्में बनाने में विशेषज्ञ माने जाते हैं लेकिन इस निर्देशक का कहना है कि वह ऐसे व्यावसायिक फिल्म निर्माता हैं जिनकी कहानियां मुद्दों से नहीं बल्कि भावनाओं से संबंधित होती हैं।
झा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मेरी फिल्में मुद्दा आधारित नहीं बल्कि भावनात्मक होती हैं। अगर मेरी कहानियों में मजबूत भावनाएं नहीं होंगी तो मुझे लगता है कि इन्हें कोई नहीं देखेगा। मेरी फिल्में बहुत व्यावसायिक होती हैं।’
झा की फिल्में अक्सर राजनीतिक विवादों के इर्दगिर्द झूमती हैं। उनकी फिल्म ‘गंगाजल’ भागलपुर में तेजाब डालने की घटना पर आधारित है। ‘अपहरण’ फिल्म में उन्होंने बिहार में अपहरण की वारदातों को दिखाया। इसी तरह से, उनकी अंतिम रिलीज ‘चक्रव्यूह’ नक्सल समस्या से संबंधित है।
निर्देशक अब ‘सत्याग्रह’ की रिलीज की तैयारी में है जिसमें प्रदर्शनों के दौर से देश को हिला देने की कहानी है। हालांकि झा ने इस बात से इंकार किया है कि इस फिल्म को अन्ना हजारे आंदोलन से कोई संबंध है।
झा ने कहा, ‘मेरी फिल्म का अन्ना हजारे या अरविंद केजरीवाल के आंदोलन से कोई संबंध नहीं है। इसमें प्रदर्शन के कई दृश्य हैं लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि इसकी अन्ना हजारे के आंदोलन से कोई समानता है। दुनिया में कई आंदोलन चल रहे हैं जो मेरी प्रेरणा बने।’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 30, 2013, 18:40