Last Updated: Tuesday, October 29, 2013, 21:19
मुंबई : रिजर्व बैंक की आज की नीतगत घोषणा का कोष की लागत पर पड़ने वाले असर को लेकर लेकर बैंक प्रमुखों की राय साफ नहीं है और उन्होंने ब्याज दर की दिशा के बारे में कुछ नहीं कहा। आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी चंदा कोचर ने यहां संवाददाताओं से कहा, यहां काफी कुछ हुआ है, अत: मेरे हिसाब से इसका कोष की लागत पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिये थोड़ा इंतजार करना चाहिए। कठिनाइयों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने रेपो के लिये उधार की सीमा बढ़ा दी है और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी (एमएसएफ) दर घटा दी है जिससे कोष की लागत कम होगी। दूसरी तरफ रेपो दर बढ़ा दी है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा रिण मांग बढ़ने से किसी खास समय में नकदी संबंधी बाधाएं अन्य कारक हैं। भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्स अरूणधंती भट्टाचार्य ने कहा, कुछ दर में बदलाव की उम्मीद है। हालांकि उन्होंने बदलाव की दिशा के बारे में कुछ भी कहने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हर बैंक की संपत्ति देनदारी समिति इस मामले पर गौर करेगी।
एचडीएफसी बैंक के प्रमुख आदित्य पुरी ने कहा, पिछले तीन महीने में कोष की लागत बढ़ी है। हम सामान्य मौद्रिक नीति की और लौट रहे हैं और समय के साथ इसमें कमी आएगी। पंजाब नेशनल बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के आर कामत ने ब्याज दर बढ़ाकर जमा को आकषर्क बनाने को लेकर मौद्रिक नीति समीक्षा में की गयी घोषणा को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ऐसा महसूस किया जा रहा है कि जो रिटर्न हम जमाकर्ताओं को दे रहे हैं, अगर उसमें मुद्रास्फीति के प्रभाव को शामिल किया जाए तो वह नकारात्मक है। जबतक आप जमा को आकषर्क नहीं बनाते हैं, बैंकों के पास पैसा नहीं आएगा। बैंकों को जमा प्राप्त करने के लिये काम करना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके बयान को जमा दर में वृद्धि के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। पुरी ने कहा कि अगर जमा दरें बढ़ेंगी तो कर्ज में देय ब्याज दर भी बढ़ेगी।
रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ा दी है। इससे बैंक की कोष की लागत बढ़ेगी। साथ ही दीर्घकालीन रेपो के तहत उधार की सीमा बढ़ा दी है। पर उसने बैंकों को कुछ राहत देने के लिए नकदी की सीमांत सुविधा पर ब्याज 0.25 प्रतिशत कम कर दी है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 29, 2013, 21:19